फ्रांस के राजदूत का यह बयान मीडिया की एक रिपोर्ट के आलोक में आया
है, जिसमें दावा किया गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2015 में
फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के फैसले की घोषणा करने के कुछ ही
महीने बाद फ्रांस के प्राधिकरणों ने कंपनी के 14.37 करोड़ यूरों के कर्ज को
माफ कर दिया।
अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशन ने मीडिया
की रिपोर्ट की आलोचना करते हुए कहा कि उसकी अनुषंगी कंपनी रिलायंस फ्लैग
अटलांटिक फ्रांस एसएएस के वर्ष 2008 से जुड़े कर का मसला भारत सरकार द्वारा
फ्रांस की कंपनी दसॉ से राफेल जेट विमान खरीदने के फैसले से काफी पहले का
है।
कंपनी ने एक बयान में कहा, "रिलायंस फ्लैग के कर का मसला 2008 से जुड़ा है जो करीब 10 साल पुराना है।"
बयान
के अनुसार, "रिलायंस फ्लैग ने कहा कि कर मांग पूरी तरह अरक्षण्ीय और अवैध
थी। रिलायंस समाधान में किसी भी प्रकार के पक्षपात या लाभ से इनकार करती
है।"
--आईएएनएस
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