नई दिल्ली। आरुषि-हेमराज मर्डर केस में तलवार दंपत्ति को उम्रकैद की सजा सुनाने वाले सीबीआई जज श्यामलाल ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जज श्यामलाल ने आरुषि मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले में अपने खिलाफ की गई तीखी टिप्पणियों को हटाने की मांग की है। ट्रायल कोर्ट के पूर्व जज श्याम लाल ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि इस हत्याकांड में आए हाई कोर्ट के फैसले में सुधार किया जाए। उन्होंने कहा है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा उनके खिलाफ की गई व्यक्तिगत टिप्पणियों को फैसले से हटाया जाए। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
गौरतलब है कि गाजियाबाद में जज श्याम लाल ने 28 नवंबर 2013 को इस दोहरे हत्याकांड में तलवार दंपती को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके बाद दलवार दंपती को बरी करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्रूर तर्क के द्वारा अलग स्टोरी कहने के लिए ट्रायल कोर्ट के जज पर निशाना साधा था। इसी तर्क के आधार पर श्याम लाल ने डेंटिस्ट दंपती को उनकी बेटी और नौकर हेमराज की हत्या के मामले में दोषी ठहराया था। हाईकोर्ट ने सीबीआई के फैसले को विरोधाभास से भरा बताया था और तलवार दंपत्ति को बरी किया था।
हाईकोर्ट ने कहा था कि जज ने गणित टीचर और फिल्म डायरेक्टर जैसा व्यवहार किया। ऐसा लगता है मानो जज को कानून की सही जानकारी तक नहीं थी, इसी वजह से उन्होंने कई सारे तथ्यों को खुद ही मानकर फैसला दे दिया, जो थे ही नहीं। ऐसा लगता है कि ट्रायल जज अपनी कानूनी जिम्मेदारियों से अनभिज्ञ हैं।
फैसले के समय हाईकोर्ट की ओर से कहा गया था कि मौजूदा सबूतों और गवाहों के आधार पर राजेश तलवार और नूपुर तलवार को आरुषि और घरेलू नौकर हेमराज की हत्या का दोषी नहीं माना जा सकता। हाईकोर्ट के जज एके मिश्रा ने कहा था कि सीबीआई की जांच में कई खामियां थी। आरुषि को माता-पिता ने नहीं मारा, ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट भी इतनी कठोर सजा नहीं देता है।
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