नई दिल्ली। केजरीवाल सरकार और उपराज्यपाल के बीच आपसी टकराव बढने लगा है।
केजरीवाल सरकार के विज्ञापनों पर खर्च के मामले में आम आदमी पार्टी ने
उपराज्यपाल अनिल बैजल के उस आदेश पर सवाल खडे किए हैं, जिसमें उन्होंने
पार्टी से 97 करोड रूपये वसूलने को कहा है।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार को कहा कि बैजल ने केंद्र सरकार
द्वारा गठित उस समिति की सिफारिश पर यह आदेश दिया है जो ऎसी कोई सिफारिश
करने का अधिकार नहीं रखती है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से निष्पक्ष
समिति बनाने को कहा था, जबकि केंद्र सरकार की ओर से गठित समिति में एक
समाचार चैनल के मालिक रजत शर्मा और बीजेपी से करीबी संबंध रखने वाले पीयूष
पांडे शामिल थे। इनकी निष्पक्षता और तटस्थता जगजाहिर है।
सिसोदिया ने कहा कि समिति ने दिल्ली सरकार के विज्ञापनों को सुप्रीम कोर्ट
के दिशानिर्देशों का उल्लंघन बताते हुए इन पर खर्च हुए पैसे को आप से
वसूलने की सिफारिश की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट ने इस
समिति को ऎसी कोई सिफारिश करने या निर्देश देने का कतई अधिकार नहीं दिया
है।
केजरीवाल सरकार के विज्ञापनों को सही बताते हुए सिसोदिया ने दलील दी कि
शुक्रवार को अखबारों में आए कर्नाटक सरकार के विज्ञापनों में वहां की
कांग्रेस सरकार की उपलब्धियां गिनाई गई हैं, जबकि दिल्ली सरकार के
विज्ञापनों में पार्टी का नहीं बल्कि केजरीवाल सरकार का जिक्र है। इसलिए आप
से वसूली का आदेश तर्कसंगत नहीं है।
उन्होंने सवाल किया कि बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में
जनता को मिल रहीं मुफ्त सेवाओं का जिक्र विज्ञापन के जरिए जनता को बताना
अपराध कैसे हो सकता है।
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