चुनावों पर सोशल मीडिया के माध्यम से फैलने वाली फर्जी खबरों का
प्रसार, प्रवेश और प्रभाव जानने के लिए सर्वे 'दिल्ली-हैशटैग डोन्ट बी फूल'
में 400 लोगों से बात की गई। चुनाव से पहले फैली अफवाहों में यह भी शामिल
था कि शाहीन बाग में महिलाओं को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और
प्रस्तावित नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ प्रदर्शन करने
के लिए भुगतान किया जा रहा है।
इसके अलावा प्रसिद्ध व्यक्तियों ने
चुनाव से पहले कुछ ट्वीट भी किए जो गलत थे। उदहारण के तौर पर भारतीय जनता
पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने आप नेता अमानतुल्ला
खान का एक वीडियो साझा किया, जिसमें उन्होंने गलत दावा किया कि खान 'शरिया'
कानून बनाने की बात कर रहे थे।
लेकिन, सर्वे में 60 फीसदी लोगों ने
यह भी कहा कि उन्होंने खबरों पर सीधे विश्वास करने के बजाए इनकी सच्चाई
जानने के लिए गूगल, ट्विटर, फेसबुक जैसे मंचों का सहारा लिया।
--आईएएनएस
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