नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने आतंकवाद वित्तपोषण से जुड़े एक आरोपी को उसकी पत्नी से मुलाकात करने और उसकी सर्जरी के दौरान पत्नी के साथ रहने के लिए छह घंटो की मोहलत दी है। दरअसल आरोपी की पत्नी के गर्भाश्य से ट्यूमर निकालने के लिए यह सर्जरी की जानी है। न्यायमूर्ति बृजेश सेठी और जे.आर. मिधा की खंडपीठ ने हालांकि उसकी एनआईए कोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका को खारिज कर दिया। आरोपी ने एनआईए से पत्नी के पास रहने के लिए अंतरिम जमानत की मांग की थी, जिसे एनआईए कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
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मोहम्मद हुसैन मोलानी इससे पहले हाईकोर्ट का रूख किया था और एक महीने के लिए अंतरिम जमानत की मांग की थी, ताकि वह सर्जरी के लिए पैसे जुटा सके, पत्नी को तैयार कर सके और खून आदि का इंतजाम कर सके।
अदालत ने 23 अक्टूबर को पारित अपने आदेश में याचिका को खारिज कर दिया था। अदालत ने लेकिन आरोपी को उसकी यात्रा की अवधि को छोड़कर सर्जरी के दौरान पत्नी के साथ छह घंटे तक रहने की मोहलत दी। अदालत ने कहा कि डॉक्टरों की ओर से सर्जरी फिक्स करने के बाद इसे निचली अदालत द्वारा सत्यापित किया जाएगा।
कोर्ट ने एनआईए को पैरोल के दौरान मोलानी के साथ पुलिस अधिकारी की मौजूदगी सुनिश्चित करने को कहा।
--आईएएनएस
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