नई दिल्ली। मोदी सरकार में श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने यूं तो कई नई पहल की, मगर दो योजनाएं सबसे ज्यादा लाभार्थियों को जोडऩे में सफल रहीं। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की ओर से साल 2019 के समापन पर पेश हुई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। सामाजिक सहायता से जुड़ीं दोनों योजनाओं का नाम है प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन और प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना। दोनों योजनाओं से अब तक एक करोड़ 60 लाख से अधिक बेरोजगारों को लाभ पहुंचने का दावा है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
बताया गया है कि अकेले प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना ने ही 1.21 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार पाने में मदद की। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में श्रम कानूनों को लेकर मंत्रालय ने सुधार की कोशिश की। कई तरह के श्रम कानूनों को एक साथ लाते हुए चार तरह के लेबर कोड बनाने की दिशा में काम शुरू हुआ। श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार का मंत्रालय इसमें से श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी देने के लिए वेतन संहिता 2019 नामक कानून को हरी झंडी दिलाने में सफल रहा।
मंत्रालय का कहना है कि योजनाओं में पारदर्शिता लाने के लिए तकनीक का सहारा लेने की दिशा में काम हुआ। मसलन, श्रम सुविधा पोर्टल से लेकर यूनिक लेबर आइडेंटिटिफिकेशन नंबर देने की भी शुरुआत हुई। मकसद रहा कि लाभार्थियों के पंजीकरण में आसानी के साथ उन्हें सुविधाएं सही तरह से मिल सकें। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने इस साल असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की भी सुधि लेते हुए उन्हें बुढ़ापे में पेंशन देने के लिए योजना शुरू की।
मंत्रालय ने फरवरी, 2019 में प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन योजना शुरू की थी, जिससे अब तक 39 लाख 525 लोग जुड़ चुके हैं। यह योजना उन मजदूरों के लिए है, जिनकी महीने की कमाई 15 हजार से कम है और उनकी उम्र 18 से 40 वर्ष है। इस स्वैच्छिक पेंशन योजना में पंजीकरण कराने पर 60 साल पूरा होने पर तीन हजार रुपये महीने पेंशन मिलेगी। कॉमन सर्विस सेंटर पर मजदूर इस योजना के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।
मुख्तार अंसारी की मौत : पूर्वांचल के चार जिलों में अलर्ट, बांदा में भी बढ़ी सुरक्षा, जेल में अचानक बिगड़ी थी तबीयत
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक कश्मीर में नजरबंद
शराब घोटाला मामला: एक अप्रैल तक ईडी की हिरासत में केजरीवाल
Daily Horoscope