इस सिलसिले में आईएएनएस ने बुधवार शाम विनय कुमार शर्मा के वकील
अजय प्रकाश सिंह को याद दिलाया कि दो-तीन दिन पहले तक वह राष्ट्रपति के
यहां दया याचिका न डालने की बात कर रहे थे। इस पर उन्होंने कहा, "पता नहीं
यह कैसे हो गया? जब मैं जेल में गया तब तो मुजरिम विनय कुमार शर्मा ने
राष्ट्रपति के यहां दया याचिका भेजने की बात से साफ इंकार किया था। हो सकता
है कि तिहाड़ जेल प्रशासन ने सरकार के दबाव में याचिका लिखवा ली हो।"
लेकिन
तिहाड़ जेल प्रशासन का कहना है, "हमें किसी मुजरिम से कोई चीज जबरदस्ती
लिखवाने का कोई अधिकार नहीं है। मुजरिमों को नोटिस देकर आगाह करना हमारा
काम था। बाकी नोटिस पर अमल करके आगे की सोचना या फिर राष्ट्रपति के यहां
दया याचिका दाखिल करने की जिम्मेदारी मुजरिमों की थी। अगर जेल प्रशासन ने
विनय कुमार शर्मा से जबरदस्ती राष्ट्रपति के नाम दया याचिका लिखवा ली, तो
फिर बाकी तीन मुजरिमों से जबरदस्ती दया याचिका क्यों नहीं लिखाई?"
उल्लेखनीय
है कि दिसंबर 2012 में राष्ट्रीय राजधानी में चलती बस में 23 साल की
पैरामेडिक्स की छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था, और विरोध करने
पर उसे बुरी तरह मारा-पीटा गया था। गंभीर अंदरूनी जख्मों के कारण उसे
बेहतर इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया था, जहां कुछ दिनों बाद उसने दम
तोड़ दिया था। इस मामले में पुलिस ने छह आरोपियों को गिरफ्तार किया था,
जिनमें से पांच को अदालत ने दोषी ठहराया और मृत्युदंड सुनाया। इसमें से
दोषी राम सिंह ने बाद में जेल में आत्महत्या कर ली थी। छठा आरोपी नाबालिग
था, जिसे बाल सुधार गृह भेज दिया गया था।
-- आईएएनएस
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