दरअसल अपनी द्विपक्षीय मौद्रिक समीक्षा में आरबीआई देश की मौजूदा आर्थिक
स्थिति और वैश्विक अर्थव्यवस्था से मिल रही चुनौतियों को देखते हुए देश के
सभी सरकारी और गैर-सरकारी बैंकों के लिए रेपो रेट और कैश रिजर्व रेशो
(सीआरआर) निर्धारित करता है। रेपो रेट वह दर है जिस पर देश का कोई बैंक
रिजर्व बैंक से कम अवधि का कर्ज लेता है।
रेपो रेट से देश में ब्याज दरें
निर्धारित की जाती हैं जिस पर कारोबारी और आम बैंक उपभोक्ता को बैंक से लिए
गए कर्ज अथवा बैंक में जमा पूंजी पर ब्याज मिलता है। वहीं सीआरआर किसी
बैंक के पास मौजूद कुल मुद्रा का वह हिस्सा है जो केंद्रीय बैंक के अधीन
है। इसे बढ़ा या घटाकर रिजर्व बैंक बाजार में तरलता और बैंक की कर्ज देने
की क्षमता में परिवर्तन करता है।
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