नवीनतम वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, हाइपरटेंशन के कारण ब्रेन
स्ट्रोक होने का खतरा दोगुना हो जाता है। सिस्टोलिक रक्तचाप में हर 10 एमएम
हीमोग्राम बढ़ने से इस्कीमिक स्ट्रोक का खतरा 28 प्रतिशत तथा हैमेरेजिक
स्ट्रोक का खतरा 38 प्रतिशत बढ़ता है। हालांकि उच्च रक्तचाप पर नियंत्रण
रखने पर स्ट्रोक होने का खतरा घट जाता है। ये भी पढ़ें - आपका तनाव संतान को दे सकता है मधुमेह
वर्ष 2012 में जारी विश्व
स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 13 करोड़ 90
लाख लोग अनियंत्रित उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं और यह संख्या हर साल बढ़
रही है। भारत में वर्ष 1960 में उच्च रक्तचाप से 5 प्रतिशत लोग पीड़ित जो
बढ़कर 1990 में लगभग 12 प्रतिशत हो गया। वर्ष 2008 में यह बढ़कर 30 प्रतिशत
हो गया और लोग अपने 20 के दशक में भी उच्च रक्तचाप से पीड़ित होने लगे।
उच्च रक्तचाप भारत में सभी स्ट्रोक से होने वाली मौतों में से 57 प्रतिशत
और कोरोनरी हृदय रोग से होने वाली 24 प्रतिशत मौतों के लिए जिम्मेदार है।
डॉ.
गुप्ता कहते हैं कि हाइपरटेंशन को 'साइलेंट किलर' कहा जाता है, क्योंकि
उच्च रक्तचाप से पीड़ित 30 प्रतिशत से अधिक लोगों को इससे पीड़ित होने का
पता नहीं होता है। ज्यादातर बार, इसके बहुत मामूली लक्षण प्रकट होते हैं या
कोई लक्षण नहीं होते हैं। आपको जिन कुछ संकेतों पर ध्यान देना चाहिए, वे
हैं- सांस लेने में कठिनाई, सीने में दर्द या भारीपन, सिरदर्द, हृदय की
अनियमित धड़कन (धड़कन), देखने में समस्या, पेशाब करने में समस्या आदि।
उन्होंने
कहा, "मामूली लगने वाले ये लक्षण धमनियों और शरीर के महत्वपूर्ण अंगों के
नुकसान पहुंचने के संकेत हो सकते हैं जो आगे चलकर जीवन के लिए घातक हो सकते
हैं और आपात चिकित्सा की जरूरत पड़ सकती है। इसलिए, हमें न केवल उच्च
रक्तचाप की पहचान और नियंत्रण नहीं करना चाहिए, बल्कि आम लोगों में उच्च
रक्तचाप के प्रसार को कम करने के लिए स्वस्थ जीवन शैली और निवारक रणनीतियों
को बढ़ावा देना चाहिए।"
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