नई दिल्ली । भारत में 75 प्रतिशत रिक्रूटर अपने हायरिंग बजट का 70 प्रतिशत तक रिक्रूटमेंट टेक और एआई टूल्स पर निवेश कर रहे हैं। यह जानकारी गुरुवार को आई एक रिपोर्ट में दी गई। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
लिंक्डइन के नए रिसर्च के अनुसार, रिक्रूटमेंट के लिए तीन प्रमुख प्राथमिकताएं देखी गई हैं।
57 प्रतिशत रिक्रूटर्स के लिए ट्रांसफर होने वाली स्किल्स के साथ हाई-क्वालिटी कैंडीडेट्स को खोजना उनकी प्राथमिकता है। 52 प्रतिशत रिक्रूटर्स के लिए स्मार्टर हायरिंग टेक को अपनाना उनकी प्राथमिकता में आता है, जबकि 46 प्रतिशत रिक्रूटर्स के लिए सी-सूट लीडर्स को हायरिंग इंवेस्टमेंट का रिटर्न ऑन इंवेस्टमेंट (आरओआई) साबित करना उनकी प्राथमिकता है।
काम में एआई को अपनाने के लगभग तीन साल बाद, भारतीय रिक्रूटर्स 'क्विक हायरिंग' से 'क्वालिटी हायरिंग' की ओर बढ़ रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, 64 प्रतिशत रिक्रूटर्स का मानना है कि सॉफ्ट और टेक्निकल स्किल का सही मिश्रण को सुनिश्चित करना एक चुनौती है। 58 प्रतिशत रिक्रूटर्स के लिए जल्द से जल्द हायरिंग करना चुनौती बनता है, जबकि 54 प्रतिशत का मानना है कि राइट कल्चर फिट के लिए कैंडीडेट खोजना उनके लिए चुनौती बनता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन बदलती मांगों को पूरा करने के लिए, 69 प्रतिशत भारतीय रिक्रूटर्स अब इंफोर्म्ड हायरिंग निर्णय लेने के लिए डेटा एनालिटिक्स का उपयोग कर रहे हैं और 63 प्रतिशत रिक्रूटर्स हायरिंग की गति और सटीकता में सुधार के लिए एआई टूल का उपयोग कर रहे हैं।
भारत में लिंक्डइन टैलेंट सॉल्यूशंस की प्रमुख रुचि आनंद ने कहा, "जल्द से जल्द हायर करने के प्रेशर के साथ कई रिक्रूटर्स गहराई की जगह अधिकता को चुनते हैं। लेकिन हायरिंग आज के समय कुछ अधिक की मांग करती है। रिक्रूटर्स को टूल्स की जरूरत है, जो उन्हें ऐसे स्किल्ड टैलेंट को खोजने में मदद कर सके जो रियल बिजनेस आउटकम ला सके।
एआई और डेटा का इस्तेमाल कर क्विक-फिल रोल्स से हाई-इम्पैक्ट हायर्स में शिफ्ट हुआ जा सकता है।
आनंद ने कहा, "हमारे लेटेस्ट रिसर्च से पता चलता है कि भारत में आधे से अधिक (53 प्रतिशत) रिक्रूटर्स पहले से ही लिंक्डइन जैसे प्लेटफार्मों से अच्छा रिटर्न पा रहे हैं क्योंकि वे प्रॉब्लम सोल्विंग, क्रिएटिविटी, लीडरशिप जैसी स्किल्स पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।"
72 प्रतिशत रिक्रूटर्स का मानना है कि भर्ती की गुणवत्ता सफलता का सबसे महत्वपूर्ण माप है। वहीं, 60 प्रतिशत रिक्रूटर्स के लिए भर्ती करने का समय सफलता का माप बनती है। जबकि 59 प्रतिशत रिक्रूटर्स के लिए सफलता के लिए सबसे जरूरी प्रति कर्मचारी राजस्व है।
58 प्रतिशत रिक्रूटर्स का कहना है कि प्रक्रिया में देरी के कारण टॉप कैंडिडेट्स खो जाते हैं। वहीं, 64 प्रतिशत रिक्रूटर्स का मानना है कि टॉप कैंडिडेट्स को खोने की वजह टीम पर ज्यादा वर्कलोड प्रेशर बनता है। वहीं, 63 प्रतिशत रिक्रूटर्स का मानना है कि उत्पादकता और मनोबल में कमी के कारण टॉप कैंडिडेट्स खो सकते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, 58 प्रतिशत रिक्रूटर्स का मानना है कि एक लंबा अप्रूवल प्रॉसेस प्रक्रिया में देरी का कारण बनता है। 56 प्रतिशत रिक्रूटर्स का कहना है कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान निर्णय लेने में असमर्थता या अनिश्चितता देरी का कारण बनती है।
जैसे-जैसे एआई अपनाने की प्रक्रिया बढ़ रही है, भारत में 90 प्रतिशत रिक्रूटर्स अपनी भूमिकाओं में ‘रणनीतिक करियर सलाहकार’ के रूप में आगे आने की उम्मीद कर रहे हैं। वहीं, 92 प्रतिशत रिक्रूटर्स उम्मीदवारों को अधिक प्रभावी ढंग से जोड़ने के लिए पर्सनलाइज्ड और डेटा इनसाइट का इस्तेमाल करने की योजना बना रहे हैं।
--आईएएनएस
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