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युवा चिंतन : बिना असफलता के सफलता का कोई स्वाद नहीं होता

Young Thoughts: Success has no taste without failure - Raipur News in Hindi

सफलता को झेलने के लिए आत्मविश्वास की परम आवश्यकता होती हैl असफलता ऐसा स्वाद है जिसे हर व्यक्ति ने जीवन में कभी ना कभी जरूर चखा होगा। असफल होने से निराश होने की आवश्यकता नहीं है। महापुरुषों ने कहा है कि असफलता यह दर्शाती है कि आपने प्रयास पूरे मन से नहीं किया है अतः असफलता के बाद सफलता के लक्ष्य को निर्धारित कर पूर्ण मनोयोग से कर्म की वेदी पर अपना शीश नवाना चाहिए। जीवन में असफलता किसी लक्ष्य को स्थापित करने का ही परिणाम है।इसीलिए इसे बड़े ही सौजन्यता से, सहज तरीके से आत्मसात करना चाहिए। सकारात्मक तरीके से आत्मविश्वास के साथ स्वीकार की गई असफलता मनुष्य को बड़े लक्ष्य की ओर प्रयास करने के लिए संकेत देती है। बिना असफलता के सफलता कोई भी आस्वाद नहीं देती है। असफलता के बाद ही सफलता के के लिए किए गए प्रयासों का महत्त्व मनुष्य को अपने जीवन में पता लगता है। शायर फैज अहमद फैज ने कहा है-
दिल ना उम्मीद तो नहीं नाकाम ही तो है, लंबी है गम की शाम मगर शाम ही तो है।
असफलता सफलता की पहली सीढ़ी है और यह सामान्य मानवीय कृत्य भी है। असफल होने के कारणों का पता लगाकर सफलता के लिए प्रयास हमेशा हमें दोगुना कर देना चाहिए। यह भी जरूरी नहीं है कि एक बार सफल होने के बाद मनुष्य सदैव सफल ही होता रहे इसके लिए मनुष्य को लगातार चिंतनशील, आत्म विश्वासी, साहसी और सतर्क होना पड़ेगा। सफल होने के लिए हमें हमेशा हुनरवान होना होगा जिससे इसी हुनर से हमें सफलता का स्वाद चखने का मौका मिलेगा। यह सर्वविदित सच्चाई है कि हमें सफलता के लिये साहस और हुनर का उपयोग कर सदैव अग्रसर होते रहना होगा।

सफलता एक लक्ष्य और उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सदैव सफलता की सीढ़ी चढ़कर हमें वहां पहुंचने की आवश्यकता है। आत्मविश्वास का अर्थ शक्ति और ऊर्जा तो है और यह संपूर्ण रूप से हमारे प्रयासों हमारे संकल्प और साहब से जुड़ा हुआ प्रतिफल भी है। आज भारत विश्व का सबसे बड़ा युवा देश है। हमारे देश के लाखों, करोड़ों युवाओं का जीवन लक्ष्य हीन है वे बहुत सारी इच्छाएं और महत्वकांक्षी रखते तो हैं पर उसके पीछे कड़ी मेहनत पक्का इरादा नहीं रखने की भूल कर देते हैं और यही कारण है कि वे जीवन में इधर उधर भटक कर अत्यंत निराश होकर अपने जीवन को नशे और अन्य निराशाजनक मार्ग को अपना लेते हैं।

प्रयास तथा कठिन परिश्रम की कमी ही युवा वर्ग की भटकाव की स्थिति की परिणति है। आज का युवा बिना सुनियोजित प्रयास के लक्ष्य की प्राप्ति की आकांक्षा रखने लगे हैं और असफल होने के बाद उसका मूल्यांकन ना कर असफल होकर किसी अन्य मार्ग को चुनने के लिए बाध्य हो जाते युवाओं की यह मानसिक स्थिति बड़ी आया हुआ है जो समाज के लिए निर्णायक साबित होती है और एक बड़ा युवा वर्ग गलत मार्ग की ओर प्रशस्त हो जाता है। ऐसे में युवाओं का जीवन बहुत ही कष्टदायक हो सकता है।

युवा वर्ग को चाहिए कि लक्ष्य निर्धारित कर उसके लिए निरंतर कोशिश है और निरंतर श्रम करना चाहिए इसके बाद भी यदि असफलता मिलती है तो सम्यक मूल्यांकन कर असफलता के कारणों को दूर कर दुगनी रफ़्तार से मेहनत कर उच्च लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। आज युवा आगे बढ़कर देश का जिम्मेदार नागरिक बनेगा ऐसे में युवाओं को सदैव लक्ष्य प्राप्ति और सफलता प्राप्ति के लिए निरंतर कठिन श्रम प्रयास संकल्प और अपनी जीवनी को नियमित रखना होगा जिससे घर, समाज और राष्ट्र की उन्नति भी होगी।

उल्लेखनीय है कि असफलता से ही सफलता की तमाम शिक्षा हमें प्राप्त होती है। विवेकानंद जी ने कहा है कि ब्रह्मांड की सारी शक्तियां हमारे ही भीतर ही है यह हम ही हैं जिन्होंने अपनी आंखों के सामने हाथ रखा है और रोते हुए कहते हैं कि अंधेरा है। मनुष्य के जीवन में आत्मविश्वास ही ऐसा गुण है जिससे हम संकल्पित होकर बड़े से बड़ा लक्ष्य प्राप्त कर जीवन में सफलता के झंडे गाड़ सकते हैं।

विवेकानंद, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी लाल बहादुर शास्त्री, नरेंद्र मोदी और सबसे बड़े सफलता के और आत्मविश्वास के उदाहरण महात्मा गांधी ही हैं जिन्होंने आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प से देश को आजादी दिलाने का महान कार्य किया है। फिर ऐसा क्या है कि देश के युवा वर्ग की बड़ी जनसंख्या हाथ में हाथ धरे सफलता का बैठे-बैठे इंतजार करना चाहती है।

देश के नौजवानों को हमारे सफल महापुरुषों से शिक्षा लेकर सफलता के लिए अनंत तक आत्मविश्वास के साथ निरंतर श्रम करना चाहिए जिससे न सिर्फ उनका भला हो बल्कि पूरे समाज और पूरे देश का भला हो सके और देश पूरे विश्व में सीना तान कर अपने आसपास और सफलता की गाथा सुना सके।

यह देखा गया है कि मानव अहंकार को ही आत्मविश्वास समझने की भूल कर देते हैं किंतु आत्मविश्वास घमंड और अहंकार मैं बहुत बड़ा फर्क है। आत्मविश्वास अहंकार विहीन विनम्रता के साथ परिश्रम और संयम संकल्प लेकर सफलता के लक्ष्य की ओर पदार्पण ही है। फल स्वरुप अहंकार को त्याग कर संपूर्ण विश्वास को लेकर देश हित में सफलता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयास करने चाहिए।

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