बजाते हैं कई भाषाओं की धुन : ये भी पढ़ें - अजब- गजबः बंद आंखों से केवल सूंघकर
देख लेते हैं ये बच्चे
चूंकि ज्योतिमोन
दक्षिण भारतीय से हैं, तो पहले तो वे दक्षिण भारतीय भाषाओं की धुनों को ही
बजाते थे, पर सीआरपीएफ की 116 बटालियन की नौकरी के दौरान वे 6 साल तक
कश्मीर में रहे और अभी बटालियन 188 में लगभग तीन सालों से बस्तर में है, तो
वे हिंदी फिल्मों व लोकगीतों की भी धुनों को शानदार तरीके से बजाते हैं।
हीरो फिल्म की सिग्नेचर बांसुरी की धुन तो ऐसे बजाते हैं, जैसे वह उनकी ही
बनाई धुन हो।
सीआरपीएफ स्थापना दिवस पर बांधा समां :
हाल ही
में सीआरपीएफ ने अपना 79वां स्थापना दिवस मनाया। इस मौके पर 188वीं बटालियन
ने एक बड़ा आयोजन किया, जिसमें पूरी सीआरपीएफ के अलावा उनके आनुसांगिक बल,
पुलिस अधीक्षक कोंडागांव, नगर के गणमान्य नागरिक, मीडिया वर्ग, प्रबुद्ध
वर्ग व स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में ज्यातिमोन ने बांसुरी से
समां बांध दिया। सभी ने उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
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