भारत ने युवाओं के दम पर पेरिस ओलम्पिक में एक सिल्वर और चार ब्रॉन्ज कुल पांच पदक जीत कर खेलों की दुनिया में परचम लहराया है, आने वाले समय मे ये ही युवा पदकों की सृंखला भी जीत कर लाएंगे ऐसी आशा बलवती हुई है एक बहुत अच्छी कहावत है कि आशाओं पर आकाश टिका हुआ है और निसंदेह आशा, उम्मीद, संभावना बहुत ही सारगर्भित एवं चमत्कारिक शब्द भी हैं। उम्मीद जो इतिहास में कई बार चमत्कार करती आई है।
वैश्विक स्तर पर भारत देश को युवा जनसंख्या का सरताज देश माना जाता है। भारत के नौजवानों की क्षमता का लोहा अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा, इजरायल और अन्य पश्चिमी देश मानते हैं। विश्व में ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं जहां भारत की युवा जनसंख्या ने अपना परचम ना फैलाया हो। इसीलिए नेपथ्य के परिदृश्य में यह आवाज सदैव बुलंद होती है कि युवा देश के युवा नागरिकों आगे बढ़ो दुनिया को मुट्ठी में कर लो, भविष्य हमेशा तुम्हारा है और रहेगा।
किसी भी राष्ट्र को बड़ा बनाने या समृद्ध बनाने के लिए वर्षों की मेहनत अथक प्रयास और सकारात्मक सोच के साथ संयम एवं उच्च मनोबल की आवश्यकता होती है, तब जाकर ही राष्ट्र एक मजबूत तथा विकासवान राष्ट्र बन पाता है।
हमें सदैव वर्तमान में जीना चाहिए, इतिहास से शिक्षा लेनी चाहिए और भविष्य के प्रति सकारात्मक सोच के साथ आगे सदैव अग्रसर होते रहना चाहिए।
आजादी के 75 वर्ष के बाद भारत ने विकास की गति को बहुत मजबूती के साथ थामा हुआ है। 145 करोड़ की जनसंख्या वाले देश में युवा जनसंख्या का प्रतिशत बहुत ज्यादा है, आने वाले भविष्य में देश की बागडोर इन्हीं युवा हाथों में होने वाली है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
यह आशा एवं उम्मीद का ही प्रतिफल है कि हम सकारात्मक होकर उच्च मनोबल के साथ किसी लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ते है। फिर यदि लक्ष्य मेडिकल साइंस में किसी नई दवा को इजाद करना हो या स्पेस रिसर्च में नई टेक्नोलॉजी लाना हो या देश मे विकास की नई धारा को प्रवाहित करना हो या खेल का मैदान हो, सकारात्मक ऊर्जा हमें इस संदर्भ में मदद करने वाला अवयव होता है। अच्छी और सही सोच हमेशा अच्छे परिणाम देने वाला होती है, पर बिना सकारात्मक सोच के और बिना किसी सार्थक परिणाम की कल्पना किए हुए उस पर पसीना बहाना बड़ा ही दुष्कर कार्य प्रतीत होता है। अच्छे पद अथवा अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए विद्यार्थी सकारात्मक सोच और उच्च मनोबल तथा संयम को लेकर ही आगे अपनी तैयारी करता है एवं उच्चतम अंक या उच्च पद की प्राप्ति करता है। कोई भी खिलाड़ी ओलंपिक में बिना पदक की लालसा के तैयारी नहीं कर सकता और पदक को लक्ष्य मानकर जब वह पूर्ण मनोबल के साथ आशाओं की लकीरों के मध्य वह जब अपना पसीना मैदान में बहाता है तो वह लक्ष्य प्राप्ति की ओर लगातार अग्रसर होता है और उसे अंत में अपनी सकारात्मक ऊर्जा के कारण वह पदक अवश्य प्राप्त होता है।
दार्शनिक भी कहते हैं कि लक्ष्य प्राप्ति के लिए एक बेहतर और अच्छी शुरुआत सफलता का बहुत बड़ा हिस्सा होती है। हम संभावनाओं के दम पर जो हमें निरंतर प्रेरित करती है अपना पहला कदम उठाकर सफलता सुनिश्चित करते हैं। जीवन की कटु सच्चाई तथा जिंदगी के उतार-चढ़ाव को झेलने के लिए एवं सफलता की ओर अग्रसर होने के लिए हमें आशा एवं सकारात्मक सोच की सदैव मदद करती इसके बिना किसी सफलता के बारे में सोचना भी बेमानी होगा। संभावनाओं को दृष्टिगत रखते हुए हमें अपने संपूर्ण मनोबल के साथ उस कार्य को अंजाम देने के लिए अपनी तरफ से पूरी पूरी कोशिश करनी होगी एवं लक्ष्य के साथ दे तथा साधनों के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर उस के संदर्भ में उसके अंतर्निहित हर तत्व को भली भांति पहचान कर उस पर मेहनत करनी होगी अन्यथा बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए यदि मेहनत और कठोर श्रम न किया जाए तो असफलता ही हाथ लगती है।
यही वजह है कि जिन भी बड़े लोगों ने बड़ी सफलता प्राप्त की है निसंदेह उन्होंने कठिन परिश्रम अपने लक्ष्य के लिए किया था, है और करेंगे। हर बड़े कार्य को करने के लिए अच्छी योजना, अच्छा आकलन एवं उस सफलता को अपना बनाने के लिए सही विचार तथा नीतियां बनानी होगी एवं अपने उपलब्ध संसाधनों का विश्लेषण तथा अवलोकन कर उसकी क्षमता का आकलन करना होगा। केवल हवा में सकारात्मक सोच और मनोबल के दम पर किसी बड़े लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सकता। उत्तम एवं बड़े सकारात्मक लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एक बड़ी सोच अथक मेहनत एक सुनियोजित नीति एवं पृष्ठभूमि में शांत चित्त मस्तिष्क की आवश्यकता होती है।
सर्वप्रथम हमारे सामने जो उपलब्ध वर्तमान का समय है वर्तमान के अवसर संपूर्ण सदुपयोग कर भविष्य की तमाम सफलताओं को सुनिश्चित किया जा सकता है।
हमें सदैव चौकन्ना रहकर जो हमारे सामने समय सीमा है एवं समय के अवसर हैं उन्हें पहचान कर उसका संपूर्ण दोहन कर उपलब्ध संसाधनों का परीक्षण कर समेकित रूप से सब का समुचित उपयोग कर लक्ष्य की प्राप्ति की ओर जागृत होना चाहिए। जैसा कि हमारे प्रधानमंत्री ने कहा कि करोना काल में हमें आपदा में अवसर की तलाश करनी चाहिए और अवसर ही हमें किसी भी विकट परिस्थिति से लड़ने एवं उस पर नियंत्रण रखने की शक्ति एवं ऊर्जा प्रदान करते हैं। यह सकारात्मक सोच का ही परिणाम है की कोविड-19 के संक्रमण में भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में उस पर प्रभावी नियंत्रण किया एवं उस पर विजय प्राप्त की है। यह आसान काम नहीं था किंतु पूरे देश के नागरिकों एवं अग्रिम नेताओं की सकारात्मक सोच तैयारी एवं संसाधनों के समुचित प्रयोग से ही संभव हो पाया।
आज हमारे सामने समाज में जो भी हमारे प्रेरणा स्रोत हैं, वे कभी चुनौतियों के सामने झुके नहीं और ना ही उन्हें किसी प्रकार की समाजिक कठिनाई अथवा चुनौती झुका पाई और यही कारण है की वह हमारे प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं। इस संदर्भ में हर व्यक्ति को सकारात्मक सोच रख कर अपने मौजूदा संसाधनों का संपूर्ण दोहन कर सटीक नीति और भविष्य की योजनाएं बनाकर उस पर मेहनत करनी होगी और मेहनत से उपजे आत्मबल तथा संयम के साथ किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए संपूर्ण ऊर्जा समेकित रूप से केंद्रित कर उस लक्ष्य की प्राप्ति करनी होगी। नागरिकों के समेकित प्रयास अच्छी सोच और कड़ी मेहनत से ही संपूर्ण राष्ट्र वैश्विक स्तर पर एक आदर्श तथा प्रेरणादायक राष्ट्र बनने की क्षमता की ओर आगे बढ़ सकता है।
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