रायपुर। राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी के जाति मामले में छानबीन कमेटी की रिपोर्ट आ गई है। छानबीन कमेटी ने अजीत जोगी को आदिवासी नहीं माना है। जोगी ने बुधवार को इसके खिलाफ अदालत की शरण लेने की बात कही। जोगी की जाति के मामले में छानबीन कमेटी की बैठक मंगलवार को हुई, जिसमें याचिकाकर्ताओं, ग्रामीणों एवं आवेदक संतकुमार नेताम तथा नंदकुमार साय की याचिकाओं को ध्यान में रखकर फैसला लिया गया। कमेटी ने तय किया है कि अजीत जोगी को अनुसूचित जनजाति के लाभ की पात्रता नहीं होगी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
संतकुमार नेताम ने पूर्व मुख्यमंत्री जोगी के मामले को लेकर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग में आवेदन कर शिकायत की थी। फैसला 16 अक्टूबर, 2001 को आया था, जिस पर आयोग द्वारा कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे। अजीत जोगी ने उस दौरान बिलासपुर उच्च न्यायालय में याचिका लगाई थी। उच्च न्यायालय ने भी फैसला लिया था कि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग को जाति का निर्धारण करने, जांच करने और फैसला देने का अधिकार नहीं है। इस फैसले को लेकर संतकुमार नेताम सर्वोच्च न्यायालय भी गए थे, जिस पर नेताम की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाई थी।
सर्वोच्च न्यायालय ने 13 अक्टूबर, 2011 को फैसला लिया था कि सरकार हाईपावर कमेटी बनाकर अजीत जोगी के जाति प्रकरण का निराकरण करे। जोगी के जाति मामले के लिए गठित कमेटी के छह सदस्यों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य सचिव रीना बाब साहब कंगाले, सदस्य जीआर चुरेंद्र, एस.आर. टंडन और जीएम झा थे। इस रिपोर्ट को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने बुधवार को पत्रकार वार्ता में कहा, ‘‘मुझे विश्वसनीय सूत्रों से पता चला कि समिति ने मेरे खिलाफ फैसला लिया है। समिति का मानना है कि मैं आदिवासी नहीं हूं। यदि समिति का यही निर्णय है तो वे यह भी बता दें कि मैं कौन सी जाति का हूं।’’
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