राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव स्थित क्रिश्चियन हॉस्पिटल में 37 लोगों की आंखों की रोशनी चले जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। शनिवार को इसमें नया मोड़ तब सामने आया, जब कुछ चिकित्सकों ने कहा कि नकली आई ड्रॉप की वजह से ऐसा हुआ। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
विशेषज्ञों का मानना है कि जांच के दूसरे दिन जो आई ड्रॉप मरीजों को आंखों में डालने के लिए दिए गए थे, वे नकली थे। इसी के कारण मरीजों की आंखों में संक्रमण बढ़ा और रोशनी चली गई। मगर शासन-प्रशासन इस पर कुछ भी बोलने से कतरा रहा है।
मामला सामने आने के बाद अफसरों के पसीने छूट गए हैं। मरीजों की आंखों में संक्रमण होने की सूचना क्रिश्चियन हॉस्पिटल ने स्वास्थ्य विभाग तक को नहीं दी थी। मरीजों को भर्ती कर ऑब्जर्वेशन में रखा गया था। सरकार तक सूचना पहुंची तो स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव सुब्रत साहू ने अंधत्व निवारण समिति के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. सुभाष मिश्रा को राजनांदगांव जाने के निर्देश दिए।
स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि दवाओं के नकली होने की आशंका है, इसलिए दवाएं जब्त कर जांच के लिए भेजी गई हैं।
राज्य में इससे पहले कवर्धा अंखफोड़वा कांड और पेंडरी नसबंदी कांड हो चुके हैं, जिनमें दवाएं जांच में फेल पाई गई थीं। इन सभी दवाओं को जांच के लिए कोलकाता की प्रयोगशाला में भेजा जाना था, मगर अभी तक सारे सैंपल यहीं पड़े हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार के चर्तित मामले : एक नजर में
कवर्धा : जिला चिकित्सालय में 21 से 29 सितंबर, 2011 के बीच नेत्र शिविर आयोजित किया गया था। ऑपरेशन के बाद फैले संक्रमण से 20 मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई थी। इतना ही नहीं, संक्रमण ने दो मरीजों की जान भी ले ली, लेकिन आज तक मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
बालोद : बालोद जिला चिकित्सालय में 22 से 30 सितंबर, 2011 को मोतियाबंद ऑपरेशन शिविर लगाया गया था। 300 लोगों के ऑपरेशन हुए, लेकिन संक्रमण ने 49 मरीजों की आंखें छीन लीं। चार मरीजों की जान भी चली गई। घटना के बाद जांच कमेटी गठित हुई और सीएमएचओ सहित 6 चिकित्सकों को निलंबित किया गया।
दुर्गे : जिला चिकित्सालय में 11 अप्रैल, 2012 को हुए मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद संक्रमण से तीन मरीजों की आंखें खराब हो गईं, जबकि 12 मरीजों को संक्रमण हुआ था। शिविर में इस्तेमाल की गई दवाएं जांच के लिए कोलकाता भेजी गई थीं। रिपोर्ट में दवाओं को घटिया बताया गया, लेकिन कार्रवाई का आज तक अतापता नहीं।
बागबाहरा : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 9-10 दिसंबर, 2012 को 145 मरीजों का मोतियाबिंद ऑपरेशन किया गया। नौ मरीजों की आंखें छिन गईं। इनमें से 15 मरीज संक्रमण के शिकार हो गए, जिनमें से 9 की एक-एक आंख निकालनी पड़ी। घटना सामने आने के बाद जांच कमेटी बनाई गई है। 400 से अधिक बिंदुओं पर जांच हुई और एक सरकारी डॉक्टर सहित 5 कर्मचारी निलंबित किए गए थे।
--आईएएनएस
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