आता है। यहां दिन भर मवेशी रहते हैं, पालतू मवेशी तो शाम को घरों को चले जाते हैं, मगर आवारा मवेशी गोठान में ही रहते हैं। इनके गोबर से ही ये उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। गोठान के बनने से जहां फसलें भी सुरक्षित रहती हैं तो वहीं मवेशियों को भी दाना-पानी मिल जाता है। यहां बीमार मवेशियों का इलाज भी किया जाता है, वहीं शाम होने के बाद उन्हें घर के लिए छोड़ दिया जाता है। (आईएएनएस)
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