आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अमेरिका, रूस ,चीन, जापान और पश्चिमी देश जिस तरह गोपनीय तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं उससे विकासशील देशों की रक्षा सूचना के उजागर होने के खतरे बढ़ गए हैं इसमें विशेष सतर्कता की आवश्यकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से सामरिक सूचना के उजागर होने के खतरे बढ़ गए हैंl जब तक इस विधा में पूरी तरह पारंगत नहीं हो जाते इस पर विशेष सावधानी रख का उपयोग किया जाना चाहिए अन्यथा इसका विपरीत असर भी पढ़ सकता है। सूचनाएं विदेशी तत्वों के हाथों में जा सकती है इसके अलावा आतंकवादी संगठन इसका उपयोग कर भारी तबाही मचा सकते हैं।
निसंदेह यह दौर एडवांस्ड टेक्नोलॉजी का दौर है पर इसका उपयोग अतिरिक्त सावधानी के साथ किया जाना चाहिए। अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नफ्ज़ पढ़कर आपके मस्तिष्क की बात तुरंत पकड़कर उस पर अमल करने लगेगा। अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पल्स रेट द्वारा आपके मन की हर बात जानने में सक्षम हो सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की तकनीक को वैज्ञानिकों ने मानव की सहायता के लिए और देश की बेहतरी के लिए आविष्कार किया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
अभी तक तो अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, इजरायल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के मामले में काफी आगे पर अब खाड़ी के देशों विगत 5 साल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को अपनाकर अपनी आर्थिक स्थिति केवल तेल के कुए पर न रह कर अन्य योजनाओं पर भी काम करना शुरू कर दिया है और आश्चर्यजनक रूप से यूएई, सऊदी अरबिया, कतर, मिस्र, जॉर्डन, मोरक्को और अन्य देशों में यूरोप की तुलना में अब और ज्यादा खर्च करके आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तकनीक को अपने देश में बहुत मजबूत बना लिया।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जितने फायदे हैं उससे ज्यादा विकासशील देशों के लिए यह नुकसान देह भी हो सकता है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आपकी पल्स रीडिंग और मानसिक विचारधारा को केवल थंब इंप्रेशन में ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का डिवाइस पढ़कर उस पर अमल कर सकता है। इस टेक्नोलॉजी से अमेरिका तथा यूरोपीय देश अब तक दुश्मन की अनेक सूचनाएं बड़ी आसानी से प्राप्त कर उसका सामरिक उपयोग करने में लगे हुए हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग रूस अपनी टेक्नोलॉजी का उपयोग कर मिसाइल दागने में यूक्रेन यूक्रेन के विरुद्ध कर रहा है और अब तक यूक्रेन यूरोपीय तथा नाटो देश की मदद से इसी तकनीक के सहारे रूस के विरुद्ध अब तक टिका हुआ है वैसे तो यूक्रेन और रूस का युद्ध में काफी नुकसान हुआ है पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भरपूर उपयोग दोनों देश एक दूसरे पर कर रहे हैंl
विकासशील देशों में इस टेक्नोलॉजी का विकास अभी काफी एडवांस नहीं है इन परिस्थितियों में उनके लिए उनके सामरिक महत्व की चीजें छुपाना दुश्मन देशों के सामने कठिन हो जाएगा और उनकी खुफिया जानकारी शक्तिशाली देश आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस केवल एक सूत्र प्राप्त करने के बाद ही पूरी प्राप्त कर सकते हैं।
खाड़ी के देश जिनमें सऊदी अरबिया, कतर, मिस्र, जॉर्डन, यूएई अपने बजट का 34% बढ़ा हुआ हिस्सा एआई तकनीक पर लगातार कर रहे हैं। खाड़ी के देश इस टेक्नोलॉजी का उपयोग इस वजह से कर रहे हैं क्योंकि यह उनकी भविष्य की योजनाओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है जिससे वे तेल की कमाई से हटकर अन्य साधनों से अपनी अर्थव्यवस्था में सुधार ला सकें।
यूएई पहला देश है जिसने 2017 ने इस तकनीक को अपनाया था इसके बाद खाड़ी के देशों में अब टेक्नोलॉजी को अपनाने में होड़ हो गई हैl यह सभी देश एआई टेक्नोलॉजी पर लगभग 3 अरब डॉलर खर्च कर चुके हैंl दूसरी तरफ यदि इसका इस्तेमाल अति विशेषज्ञों द्वारा नहीं किया गया तो इसका दुरुपयोग जिन देशों के पास इन टेक्नोलॉजी से एडवांस टेक्नोलॉजी है वह पूरी जानकारी निकालने में सक्षम होंगे।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग यूरोपीय देश न सिर्फ सामरिक महत्व की चीजों में कर रहे हैं बल्कि मेडिकल साइंस और अंतरिक्ष विज्ञान में भी पूरी तरह हो रहा है और इससे बहुत फायदे भी मिल रहे हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मानव प्रजाति के लिए जितना फायदेमंद है दूसरी तरफ उतना ही नुकसान दे और इससे वैश्विक शांति को खतरा भी हो सकता है।
राइट एक्टिविस्ट मानते हैं कि रोबोट की तरह इस तरह की विज्ञान पर आधारित चीजें मानवीय प्रजाति को खत्म कर सकती है बल्कि उनकी चिंता डेटा सुरक्षा प्रपोगेंडा सर्विलांस के विरुद्ध होने वाले नुकसान पर भी ज्यादा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर खाड़ी के देशों ने एआई के इस्तेमाल पर दिशा निर्देश तय कर उसे जारी किया है हालांकि इस पर कोई कानूनी बाध्यता नहीं है फिर भी इसका दुरुपयोग होने से मानव को खतरा भी हो सकता है यह एक वैश्विक चिंता की बात है।
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