रायपुर। छत्तीसगढ़ में नक्सली हिंसा पर लगाम लगाने के प्रयास जारी हैं, मगर धुर नक्सली क्षेत्रों में पुलिस के लिए अपनी पैठ बनाना अब भी चुनौती बना हुआ है। इसका प्रमाण दंतेवाड़ा के सुदूर इलाके पोटाली में देखने को मिला, जहां पुलिस को शिविर लगाने में बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
बस्तर क्षेत्र में कई गांव ऐसे अब भी हैं, जहां सुरक्षा बलों को पहुंच बनाने में दिक्कत आती है, क्योंकि नक्सलियों का ग्रामीणों पर दबाव होता है, जिससे ग्रामीण चाहकर भी सुरक्षा बलों का साथ नहीं देते। यही कारण है कि कई हिस्सों में सुरक्षा बलों के शिविर तक स्थापित नहीं हो सके हैं।
दंतेवाड़ा के कुआकोंडा विकासखंड के धुर नक्सली प्रभावित इलाके पोटाली में जब एसटीएफ और डीआरजी ने नया शिविर स्थापित करने की कोशिश की तो उन्हें ग्रामीणों का विरोध का भी सामना करना पड़ा।
पुलिस उप महानिरीक्षक सुंदर राज पी. ने आईएएनएस से बातचीत में माना कि जिन क्षेत्रों में नक्सलियों का प्रभाव है, वहां ग्रामीण उनके दबाव में रहते हैं, लिहाजा नक्सलियों के बहकावे में आकर वे पुलिस का विरोध करते हैं, मंगलवार को पोटाली में भी ऐसा ही हुआ।
दंतेवाड़ा के जिलाधिकारी टोपेश्वर वर्मा ने मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों को समझाया कि शासन की जनहितकारी योजनाओं से हर परिवार लाभान्वित होगा, जिससे घर-परिवार को खुशहाली आएगी। अगले महीने से पोटाली में उचित मूल्य दुकान शुरू कर क्षेत्र के ग्रामीणों को चावल और अन्य जरूरी सामग्री वितरित की जाएगी। पोटाली बाजार में स्वास्थ्य शिविर आयोजित कर ग्रामीणों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
उन्होंने कहा कि अरनपुर से पोटाली-पेरमापारा बुरगुम तक 14 किलोमीटर सड़क का निर्माण शुरू किया जाएगा। इस सड़क के बन जाने से इस इलाके के करीब आठ गांवों के लोग लाभान्वित होंगे।
बताया गया है कि मंगलवार को तो ग्रामीणों ने मैदान में उतरकर सुरक्षा बल का शिविर स्थापित करने का भारी विरोध किया था, जिससे दोनों पक्षों के बीच हाथापाई की स्थिति बन गई थी। सुरक्षा बल को हल्का बल प्रयोग भी करना पड़ा था। ग्रामीणों के बताया गया कि सुरक्षा बल का शिविर आने से उनको ही लाभ होगा।
डीआईजी सुंदर राज का दावा है कि ग्रामीण यह समझ गए हैं कि इस शिविर से उन्हें ही लाभ होगा, लिहाजा उन्होंने सहयोग करना शुरू कर दिया है, कई ग्रामीणों ने शिविर में आकर सुरक्षा बलों से संपर्क भी किया है।
सूत्रों का कहना है कि प्रशासन और पुलिस बल ग्रामीणों में भरोसा पैदा करने के लिए उन्हें लगातार यह बता रहे हैं कि शिविर के कारण क्षेत्र को शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पेयजल जैसी सुविधाएं मिलेंगी। मरीजों के लिए एम्बुलेंस गांव तक आएगी, गर्भवती माताओं को प्रसव सुविधा उपलब्ध कराने के लिए महतारी एक्सप्रेस इस क्षेत्र तक पहुंच सकेगी। लोगों की आवाजाही बढ़ेगी और कृषि उपज, साग-सब्जी, वनोपज इत्यादि को बाजार तक पहुंचाने में मदद मिलेगी तो विकास को बढ़ावा मिलेगा।
पुलिस अधीक्षक अभिषेक पल्लव ने ग्रामीणों को नक्सलियों के बहकावे में न आने की सलाह दी और कहा कि नक्सलियों ने सड़क काट दिया, स्कूल-आश्रम, स्वास्थ्य केंद्र तोड़ दिया और ग्रामीणों को बुनियादी सुविधाओं से वंचित कर दिया है। उन्होंने इस इलाके के बच्चों की पढ़ाई में बाधा उत्पन्न करने सहित ग्रामीणों का शोषण किया है। इन नक्सलियों का साथ छोड़कर कर शासन-प्रशासन से जुडें और विकास में सहभागी बनें।
उन्होंने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के पुनर्वास के लिए हर संभव मदद का भरोसा दिलाते हुए कहा कि जो नक्सलपंथ छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल होगा, वह अपने बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान देगा, घर-परिवार के लोगों की देखरेख करेगा तो वह निश्चित ही विकास की ओर अग्रसर होगा।
बताया गया है कि पोटाली कैम्प शुरू हो गया है और अब रेवाली, नहाड़ी और बुरगुम में 31 दिसंबर तक नए कैम्प खोले जाएंगे। इसमें ग्रामीणों का साथ मिलना प्रशासन और पुलिस की सबसे पहली जरूरत है। लिहाजा, ग्रामीणों में भरोसा पैदा करने और नक्सलियों का खौफ कम किए जाने के प्रयास जारी हैं।
--आईएएनएस
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