रूस यूक्रेन युद्ध को दो साल से ज्यादा समय हो चुका है यूक्रेन अब जाकर समझौते पर राजी हुआ है पर रूस की अपनी शर्तें हैं जिसके चलते समझौते की कोई गुंजाइश नहीं बनती दिखाई देती है, उस पर रूस ने परमाणु हथियारों के प्रयोग से इनकार भी नहीं किया हैl उधर, इसराइल और फिलिस्तीन युद्ध में फिलिस्तीन और हमास के साथ खाड़ी के देशों के शामिल होने पर तीसरे विश्व युद्ध की संभावना बलवती हो जाती है। ऐसे में परमाणु शस्त्रों का प्रयोग हो जाए तो बड़ी बात नहीं होगी।
आज पूरा वैश्विक परिदृश्य परमाणु युद्ध के ज्वालामुखी पर टिका हुआ बैठा है। परमाणु संपन्न देशों के तमाम शासक और हुक्मरान अपनी राजनैतिक आकांक्षाएं, मंसूबे और सनक को पूरा करने के लिए एक दूसरे के रक्त के प्यासे बने हुए हैं। परमाणु संपन्न देशों में चीन, रूस और नॉर्थ कोरिया ऐसे देश हैं जिनकी बागडोर सनकी तानाशाह प्रशासकों के हाथों में है और ये देश अपनी विस्तार वादी महत्वाकांक्षा और सनक के चलते परमाणु हथियार का इस्तेमाल करने से नहीं चूकेंगे। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इतिहास गवाह है कि सनकी शासकों से हमेशा मानवता और शांति को युद्ध और हिंसा का खतरा बना रहता आया है।
अमेरिका ने द्वितीय विश्व युद्ध में नागासाकी तथा हिरोशिमा में युद्ध की सनक में परमाणु बम से हमला कर लाखों लोगों को मौत के मुंह में भेज दिया था। इसके अलावा परमाणु हथियारों के उपयोग से पैदा हुए विकरण से आज भी जापान में बच्चों पर अप्राकृतिक प्रभाव दिखाई देतें हैl
इधर, हम यदि उत्तर कोरिया के सनकी शासक किम योंग की बात करें तो वर्ष 2022 की शुरुआत के बाद से उत्तर कोरिया ने 100 से अधिक हथियारों के परीक्षण किए हैं। विशेष तौर पर कुछ अमेरिकी मुख्य भूमि और उनके खास सामरिक सहयोगी दक्षिण कोरिया और जापान पर हमला करने के लिए डिजाइन की हुई परमाणु मिसाइल भी शामिल हैं।
उत्तर कोरिया अमेरिका को लक्ष्य बनाकर क्रूज मिसाइल का प्रक्षेपण भी करता आ रहा है। रूस और यूक्रेन युद्ध के दौरान भारी तबाही का मंजर तो सामने आ ही गया है इसके अलावा यूक्रेन की अमेरिकी तथा नाटो देशों की मदद से नाराज होकर रूस स्पष्ट तौर पर परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की सार्वजनिक धमकी कई बार दे चुका है।
उल्लेखनीय है कि रूस यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन को जितना जान माल का नुकसान हुआ है उसके बराबर भी रूस में सामरिक हथियारों और सैनिकों की जानें गई हैं। रूस को इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि यूक्रेन इतने दिन तक युद्ध को खींच सकता है।
इन परिस्थितियों के परिणाम स्वरूप और वहां के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कभी भी अपनी सनक के चलते परमाणु बमों से हमला भी कर सकता है।
चीन और ताइवान विवाद में भी चीन के तानाशाह सी जिनपिंग अपनी विस्तारवादी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए और अमेरिका के परोक्ष रूप से ताइवान की मदद के कारण नाराजगी के चलते ताइवान पर कभी भी हमला कर सकता है।
स्पष्ट है कि रूस चीन और उत्तर कोरिया तीनों परमाणु संपन्न देश अमेरिका के सबसे बड़े और कट्टर दुश्मन नई परिस्थितियों में बन चुके हैं। और यह भी खुला और सर्व विदित तथ्य है अमेरिका का राष्ट्रपति वहां की जनता तथा राजनीतिक पार्टियों के दबाव में विश्व का सुप्रीमो बने रहने के चलते युद्ध मेनिया पर सवार रहता है, विश्व में अमेरिका को सर्वशक्तिमान बनाए रखने के चलते अमेरिका को चीन रूस और उत्तर कोरिया फूटी आंखों नहीं अच्छे लगते हैं।
कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी के अनुसार अमेरिका तथा दक्षिण कोरिया की सेना अपने वार्षिक सैन्य अभ्यास की ओर अग्रसर होकर लगातार समुद्र तथा उत्तर कोरिया की सीमा पर चक्कर लगा रही है।
उत्तर कोरिया इसे अमेरिका तथा दक्षिण कोरिया के हमले के पूर्वाभ्यास की तरह आंकलन कर रहा है। उधर अमेरिका जापान और दक्षिण कोरिया अपने त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन में उत्तर कोरिया के बढ़ते परमाणु एवं मिसाइलों का मुकाबला करने हेतु संयुक्त रुप से बैलेस्टिक मिसाइल निर्माण तथा प्रयोग के सहयोग के लिए सहमति दे चुके हैं।
इन तीनों देशों की संयुक्त तैयारी को देखते हुए उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग ने रणनीतिक क्रूज मिसाइल के प्रायोगिक परीक्षण का निरीक्षण भी किया है।
अमेरिका तथा पश्चिमी देश हर उस देश का साथ देने को तैयार है जो मूल रूप से चीन, उत्तर कोरिया और रूस का विरोध करते हैं। अमेरिका में चूंकि वर्ष 24 में राष्ट्रपति के चुनाव होने हैं ऐसे में वर्तमान में अमेरिकी राष्ट्रपति जो वाइडन को अपनी दावेदारी प्रस्तुत करने के लिए और चुनाव जीतने के लिए एक बहुत बड़े मुद्दे की तलाश जरूर होगी। इसके चलते वह अपनी राजनीतिक साख को बचाने के लिए किसी भी देश से अपनी बादशाहत बचाने के लिए युद्ध कर सकते हैं और जाहिर है कि उनके किसी भी युद्ध में ब्रिटेन, फ्रांस, आस्ट्रेलिया, इजरायल आंख मूंदकर साथ देने को तैयार होंगे।
इधर, भारत की स्वतंत्रता के बाद से ही चीन से परंपरागत दुश्मनी चली आ रही है दूसरी तरफ भारत रूस का अभिन्न मित्र भी है भारत परंपरागत रूप से रूस का समर्थन करते आया है या अलग बात है कि अमेरिका से उसके संबंध पिछले 10 सालों से काफी मधुर हो गए हैं और वह सदैव शांति का पक्षधर रहा है।
ऐसे मैं नवीन परिस्थितियों में रूस यूक्रेन युद्ध चीन ताइवान विवाद और उत्तर कोरिया की दक्षिण कोरिया के ऊपर अनावश्यक दादागिरी और अमेरिकी तथा नाटो देशों का खुलकर चीन रूस तथा उत्तर कोरिया के लिए विरोध पूरे विश्व में परमाणु हेतु की पूरी-पूरी पृष्ठभूमि तथा प्रस्तावना तैयार कर चुके हैं और यह भी संभावना होगी कि पाकिस्तान तथा खाड़ी के देश भी ऐसी परिस्थितियों में किसी भी संभावित विश्वयुद्ध में शामिल हो सकते हैं और यदि विश्व युद्ध होता है तो यह मानवता तथा पृथ्वी के लिए बड़ा ही विनाशक होगा हम सिर्फ कामना कर सकते हैं की युद्ध नहीं हर तरफ शांति ही शांति हो।
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