इस कुष्ठ आश्रम की स्थापना सन 1962 में कुष्ठ पीड़ित सदाशिवराव गोविंदराव
कात्रे द्वारा की गई थी, जहां वनवासी कल्याण आश्रम के कार्यकर्ता बापट सन
1972 में पहुंचे और कुष्ठ पीड़ितों के इलाज और उनके सामाजिक-आर्थिक पुनर्वास
के लिए सेवा के अनेक प्रकल्पों की शुरूआत की। कुष्ठ रोग के प्रति लोगो को
जागृत करने के अलावा कुष्ठ रोगियों की सेवा सुश्रुषा व आर्थिक व्यवस्था
करने का कार्य प्रमुख रूप से दामोदर बापट ने किया है।
बापट मूलतः
ग्राम पथरोट, जिला अमरावती (महाराष्ट्र) के हैं। नागपुर से बीए व बीकाॅम की
पढ़ाई पूरी की है। बचपन से ही उनके मन में सेवा की भावना कूट-कूटकर भरी थी।
इसी वजह से वे करीब 9 वर्ष की आयु से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के
कार्यकर्ता रहे।
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