चंडीगढ़। कांग्रेस के आधिकारिक प्रवक्ता राजीव शर्मा ने कहा है कि न केवल स्थानीय भाजपा नेताओं बल्कि कुछ केंद्रीय मंत्रियों ने भी अपने राजनीतिक लाभ के लिए जानबूझकर यहां की जनता से बार बार झूठे वादे किए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि 2014 में चुनाव जीतने के बाद पूर्व सांसद किरण खेर ने मेट्रो परियोजना के प्रस्ताव को सरसरी तौर पर खारिज कर दिया था, जिसके लिए कांग्रेस पार्टी की पहल पर कुछ समय से प्रारंभिक सर्वेक्षण चल रहा था।
जुलाई, 2017 में तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने घोषणा की कि मेट्रो परियोजना को हमेशा के लिए रद्द कर दिया गया है परन्तु मंत्री और स्थानीय भाजपा नेताओं ने उस समय भी शहर में बढ़ती यातायात समस्याओं के लिए कोई वैकल्पिक सुझाव नहीं दिया। हालांकि, जब 2019 के आम चुनाव नजदीक आए, तो किरण खेर ने फरवरी 2019 में प्रशासनिक सलाहकार परिषद की बैठक में मास रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम के मुद्दे को उठाया, जिसमें उन्होंने कहा कि यातायात समस्याओं को कम करने के लिए मोनो रेल का प्रावधान लाया जाना चाहिए। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
यह ध्यान देने योग्य है कि मोनो रेल का प्रस्ताव किसी अध्ययन या इसकी प्रभावशीलता पर किसी शोध के चलते नहीं लाया गया था बल्कि केवल मई 2019 में आने वाले चुनाव के दबाव में रखा गया था. तब किसी को भी कोई आश्चर्य नहीं हुआ जब अचानक तीन महीने बाद वह अपने ही प्रस्ताव से पीछे हट गईं।
इसके बाद मई 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करते समय, तत्कालीन केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने चंडीगढ़ के लोगों से एक गंभीर वादा किया था कि अगर किरण खेर दूसरी बार सांसद चुनी जाती हैं, तो शहर में न मैट्रो, न मोनो रेल बल्कि डबल डेकर स्काई बसें शुरू कर यहां के ट्रैफ़िक को दुरुस्त किया जाएंगा। किरण खेर ने भी इसका अनुमोदन किया था. लेकिन मई 2019 में भाजपा की जीत के बाद, गडकरी और खेर दोनों शहर में स्काई बसें उपलब्ध कराने के अपने वादे को भूल गए।
इस बीच रेल इंडिया तकनीकी और आर्थिक सेवा (राइटस) की एक ताजा रिपोर्ट आई, जिसमें शहर के लिए मेट्रो की फ़िर से ज़ोरदार सिफ़ारिश की गई थी. इसके बाद, नवंबर 2022 में तत्कालीन यूटी प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित की अध्यक्षता में एक बैठक में खेर और संजय टंडन दोनों ने शहर में मेट्रो के प्रस्ताव का जमकर विरोध किया और फिर से स्काई बसों के विचार को पुनर्जीवित किया, जो शुरू में गडकरी द्वारा लाया गया था। लेकिन प्रस्ताव को लागू करने के लिए कुछ नहीं किया गया।
एक साल बाद 2023 में, स्थानीय भाजपा ने औपचारिक रूप से स्काई बसें प्रदान करने के अपने वादे को फिर से खारिज कर दिया और मेट्रो रेल का समर्थन करना शुरू कर दिया। अब भाजपा नेताओं ने जोर शोर से शहर में मेट्रो लाने का श्रेय लेना शुरू कर दिया, लेकिन एक और साल बीत जाने के बाद अब अगस्त 2024 में यह पता चला है कि अब तक शहर में मेट्रो लाने का प्रस्ताव तक भी आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के सामने नहीं रखा जा सका है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि चंडीगढ़ में मेट्रो की अब तक की कहानी यही दिखाती है कि भाजपा सिर्फ अपने राजनीतिक फायदे के लिए शहर के लोगों को गुमराह करती रही है और उन्हें शहर के विकास में कोई दिलचस्पी नहीं है। हाल ही में चंडीगढ़ भाजपा अध्यक्ष राजिंदर मल्होत्रा और भाजपा नेता संजय टंडन चंडीगढ़ के लिए मेट्रो परियोजना पर चर्चा करने के लिए केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल खट्टर से मिलने गए थे। यह भी राजनीतिक लाभ लेने की एक व्यर्थ की कवायद थी, क्योंकि जब मंत्री के मेज़ पर प्रस्ताव ही नहीं था, तो भाजपा नेता मेट्रो पर क्या सुझाव दे सकते थे।
मेट्रो परियोजना पर भाजपा द्वारा की गई तुच्छ राजनीति ने ट्रैफ़िक जाम को यहां के निवासियों के लिए एक विकट समस्या बना दिया है, जिसके समाधान के लिए अब दृढ़ इच्छाशक्ति और अथक प्रयासों की आवश्यकता है। चंडीगढ़ कांग्रेस ने शहर के लोगों को अपना यह आश्वासन दोहराया है कि पार्टी और उसके सांसद मनीष तिवारी कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र में किए गए सभी वादों को पूरा करने के लिए हर संभव रास्ता तलाश रहे हैं और शीघ्र ही मैट्रो प्रोजेक्ट के बारे में शहरवासियों को अच्छी खबर सुनने को मिलेगी।
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