चंडीगढ़। पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को छिक्के पर टांगकर आम लोगों के लिए परेशानियां खड़ी करने वाले चंडीगढ़ प्रशासन की कार्रवाई का मुद्दा लोकसभा में उठाया है। जिसके चलते गंभीर परिस्थितियों के बावजूद लोगों को अपनी संपत्ति बहुत सस्ते दामों पर जायदाद के सह-मालिकों को बेचनी पड़ रही है।
संसद में तिवारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी, 2022 को उच्चतम न्यायालय ने एक फैसले में दो निर्देश दिए थे। इस क्रम में, पहले फैसले में न्यायालय ने कहा था कि चंडीगढ़ प्रशासन ऐसा कोई नक्शा पारित नहीं करेगा, जो तीन मंजिली मकान को तीन फ्लैटों में तब्दील करता हो। इसके अलावा, कोई ऐसा एमओयू पंजीकृत नहीं होगा, जो इस तरह की कार्रवाई पर अमली जामा पहनाता हो, जब तक हेरीटेज कमेटी द्वारा विरासती रिहायशी सेक्टरों की तब्दीली पर पुनर्विचार नहीं किया जाता। अब हेरीटेज कमेटी ने पुर्नविचार करके सुनिश्चित किया कि विरासती सेक्टरों में किसी रिडेंसिफिकेशन की जरूरत नहीं है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अफसोस की बात यह है कि शायद चंडीगढ़ प्रशासन उच्चतम न्यायालय के फैसले को सही तरीके से समझ नहीं पाया और 9 फरवरी, 2023 को प्रशासन की ओर से आदेश जारी करके चंडीगढ़ में संपत्ति की हिस्सेदारी सेल पर रोक लगा दी गई। इससे लाखों लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
इन हालातों में किसी गंभीर बीमारी या मुश्किल परिस्थितियों का सामना कर रहे लोग अपनी प्रॉपर्टी को संपत्ति के सह-मालिक के अलावा, किसी अन्य को नहीं बेच सकते। इसके चलते 100 रूपये की चीज 10 रूपये की रह गई है। जिस पर उन्होंने गृह मंत्रालय से 9 फरवरी, 2023 के आदेशों को वापस दिए जाने की मांग की है।
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