- चंडीगढ़ में पक्के रोज़गार देना तो दूर, कॉन्ट्रैक्चुअल वर्करों का भी रोज़गार छीन रही है भाजपा
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चंडीगढ़ । कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व चंडीगढ़ के पूर्व सांसद पवन कुमार बंसल ने केंद्र की भाजपा सरकार और चंडीगढ़ प्रशासन पर शहर में कॉन्ट्रैक्चुअल कर्मचारियों के रोज़गार छीनने को लेकर निशाने साधे हैं। शुक्रवार को पवन बंसल ने कहा कि इस समय चंडीगढ़ के लगभग हर सरकारी विभाग में कार्यरत ठेका कर्मचारी अपनी जायज़ मांगों को लेकर सड़कों पर है। उनकी मांगे जायज़ इसलिए लगती हैं, क्योंकि यही वादे भाजपा ने 2019 में अपने संकल्प पत्र में इन कर्मचारियों से किये थे, जो पूरे नहीं किये गए। आज कल की अखबारें इन्हीं खबरों से पटी पड़ी हैं। टीचर्स, पीजीआई का स्टाफ, एनएचएम कर्मचारी, क्रेच कर्मचारी प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हो चुके हैं।
देश में बढ़ती बेरोज़गारी जहाँ एक तरफ चिंता का विषय है, वहीं दूसरी तरफ ये 10 साल से अच्छे दिनों का सपना दिखा रही भाजपा सरकार की नाकामी का सबूत भी है। चंडीगढ़ प्रशासन में कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे 2 हज़ार से अधिक कर्मचारियों की नौकरी पर तलवार लटक गई है, प्रशासन की तरफ से इन कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का सिलसिला भी शुरु हो चुका है, ऐसे में इन 2 हज़ार कर्मचारियों ही नहीं बल्कि इनके परिवारों के लिए भी ये संकट की घड़ी है। लेकिन केंद्र की भाजपा सरकार नौकरियाँ देने के बजाए नौकरियाँ छीन रही है। और चंडीगढ़ प्रशासन अपने इन कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा तक नहीं कर रहा।
खुद केंद्र सरकार ने संसद के अंदर ये बयान दिया था कि चंडीगढ़ में ग्रेजुएट्स की बेरोज़गारी दर साल 2022-23 में बढ़कर 5.6% हो गई थी, जबकि 45 वर्षों में बेरोज़गारी अपने सबसे ऊँचे स्तर पर है। देश में लगभग 4 करोड़ युवा बेरोज़गार हैं, और हर तीन में से एक युवा नौकरी की तलाश कर रहा है। देश भर में 10 लाख स्वीकृत सरकारी पद खाली पड़े हैं लेकिन सरकार 5 साल तक पदों को खाली रखने के बाद पद ही खत्म करने की पॉलिसी पर काम कर रही है, ज़ाहिर है उससे बेरोज़गारी का आँकड़ा और ऊपर की तरफ ही जाएगा।
पवन कुमार बंसल ने कहा कि बात अगर सिर्फ चंडीगढ़ की करें, तो यहाँ भी शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ-साथ लगभग हर सरकारी विभाग में कान्ट्रैक्ट पर कर्मचारियों की भर्ती की गई। पिछले लंबे समय से वो पूरी ईमानदारी के साथ अपनी सेवाएँ भी निभा रहे थे, लेकिन अब केंद्र सरकार कह रही है कि पिछले पाँच साल से जो पद खाली पड़े हैं, उन्हें ही खत्म कर दिया जाए, जबकि सरकार को उन पदों पर कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे कर्मचारियों को ही पक्का कर देना चाहिए था। भाजपा सिर्फ अंबानी-अडानी जैसे उद्योगपतियों की हिमायती है, इसलिए सरकारी तंत्र को पूरी तरह खत्म करके सब कुछ ही प्राईवेट करना चाहती है। इन्होंने तो राष्ट्र सुरक्षा में भी पक्की नौकरियाँ खत्म करके अग्निवीर स्कीम के ज़रिए कॉन्ट्रैक्चुअल सैनिक भर्ती कर लिए, ऐसे में इनसे पक्के रोज़गार और सुनहरे भविष्य की उम्मीद कैसे की जा सकती है?
भाजपा के अमृतकाल में नौबत ऐसी आ चुकी है कि इंजीनियर कुली का काम करने को मजबूर हैं और पीएचडी होल्डर्स कहीं चपरासी की नौकरी के लिए आवेदन कर रहे हैं तो कहीं सब्ज़ी बेच रहे हैं। हर घंटे दो बेरोज़गारों के आत्महत्या करने का कारण भी यही बढ़ती बेरोज़गारी है।
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