पटना। जनता दल (युनाइटेड) के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने बिहार की महागठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के अगले दिन गुरुवार को फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। जनादेश महागठबंधन को मिला था, जिसे धता बताते हुए नीतीश ने भाजपा से गठबंधन कर नई सरकार बना ली है और महागठबंधन एक झटके में टूट गया है। नीतीश के इस कदम से लालू प्रसाद के समर्थकों में जबर्दस्त आक्रोश है। पटना सहित कई जिलों में प्रदर्शन किया गया और सडक़ जाम किया गया। पहलेजा में जिलाधिकारी पर पथराव किया गया। कई पुलिसकर्मियों को भी चोटें आईं। जगह-जगह नीतीश का पुतला फूंका गया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
नीतीश छठी बार बिहार के मुख्यमंत्री बने हैं। उनकी नई मंत्रिपरिषद शुक्रवार को विश्वासमत प्राप्त करेगी। महागठबंधन के अचानक टूटने के बाद राजद और जद (यू) में बगावत के सुर उभरने लगे हैं। राजद के कार्यकर्ता नीतीश पर विश्वासघात का आरोप लगाते हुए सडक़ पर उतरे और नीतीश का पुतला फूंका। लालू प्रसाद के समर्थकों ने आक्रोश प्रकट करने के लिए उत्तर बिहार को जोडऩे वाले सबसे बड़े पुल ‘महात्मा गांधी सेतु’ को पांच घंटे तक जाम रखा, जिससे बसों और अन्य वाहनों में बैठे हजारों लोग गर्मी व उमस में हलकान हुए। लोग सकते में हैं और खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।
बिहार के राजभवन स्थित राजेंद्र मंडप में आयोजित एक सादे समारोह में 10 बजे प्रभारी राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री और सुशील मोदी को उपमुख्यमंत्री पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। सुशील मोदी चार साल पहले तक नीतीश मंत्रिमंडल में बतौर उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं। महागठबंधन सरकार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव पर मीडिया के सामने आरोप लगाते रहने के दैनिक कार्यक्रम का इनाम आखिरकार उन्हें मिल गया। शपथ ग्रहण समारोह में भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के कई नेता शामिल हुए। शपथ लेने के बाद सुशील मोदी ने कहा कि जल्द ही मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा।
राजभवन को नीतीश ने 131 विधायकों के समर्थन का पत्र सौंपा है। राजभवन ने नीतीश को दो दिनों के भीतर विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहा है। इस बीच एक अधिकारिक बयान में कहा गया है कि शुक्रवार को बिहार विधानसभा की विशेष सत्र बुलाई गई है, जिसमें नवगठित मंत्रिपरिषद विश्वासमत प्राप्त करेगी। नीतीश कुमार ने बुधवार की शाम मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके साथ ही 20 महीने पुरानी महागठबंधन सरकार अचानक गिर गई। इस्तीफे का कारण राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी के साथ नीतीश की तनातनी को माना जा रहा है। जद(यू) का कहना है कि तेजस्वी पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, लेकिन नीतीश के कहने के बावजूद उन्होंने इन आरोपों का तथ्यात्मक जवाब नहीं दिया। वहीं लालू का कहना है कि आरोप निराधार है, तेजस्वी सीबीआई को जवाब देंगे, नीतीश सीबीआई के निदेशक नहीं हैं। जबकि नीतीश का कहना है कि उन्होंने अपनी अंतरात्मा की आवाज पर इस्तीफा दिया।
उधर, दिल्ली में भाजपा संसदीय दल की बैठक हुई, वहां से आए फरमान के मुताबिक भाजपा की बिहार इकाई ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनने वाली सरकार को समर्थन देने की घोषणा की। भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद नीतीश ने बिहार के विकास का वादा किया। उन्होंने संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा, ‘‘हमने यह निर्णय बिहार के विकास और यहां के लोगों के हित में लिया गया है। मेरा न्याय के साथ विकास का कार्यक्रम चलता रहेगा।’’ उन्होंने कहा कि उनका ‘कमिटमेंट’ बिहार और बिहार के लोगों के प्रति है। जद (यू) अध्यक्ष ने कहा, ‘‘मैं बिहार के लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि अब तक जिस तरह लोगों की सेवा करता आ रहा हूं, उसी तरह आगे भी खिदमत करता रहूंगा।’’
इधर, महागठबंधन टूटने के बाद राजद और जद (यू) में बगावती सुर उठने लगे हैं। जद (यू) के राज्यसभा सांसद अली अनवर ने गुरुवार को नीतीश कुमार के इस फैसले पर नाराजगी जताते हुए कहा, ‘‘नीतीश कहते हैं कि उन्होंने अपनी अंतरात्मा की आवाज पर इस्तीफा दिया और भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना रहे हैं, लेकिन मेरा जमीर इस फैसले को नहीं मानता। मैं इस फैसले से खुश नहीं हूं। मैं अभी पार्टी नहीं छोड़ूंगा, मुझे मौका मिला तो मैं अपनी बात पार्टी फोरम पर जरूर रखूंगा। शरद यादव से मिलूंगा।’’ इधर, राजद के गायघाट के विधायक महेश्वर यादव ने गठबंधन टूटने के लिए पार्टी के अध्यक्ष लालू प्रसाद और उनके पुत्र तेजस्वी प्रसाद यादव को जिम्मेदार बताया है।
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