पटना । बिहार का सीमांचल फिलहाल राजनीति का अखाड़ा बन गया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और देश के गृह मंत्री अमित शाह 23 और 24 सितंबर को सीमांचल में रहेंगे वही सत्तारूढ़ महागठबंधन ने भी सीमांचल में विपक्षी दलों की एक रैली करने की घोषणा की है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मुस्लिम बहुल इलाका सीमांचल के पूर्णिया में 23 सितंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एक रैली को संबोधित करने जा रहे है। इधर महागठबंधन जवाबी रैली करने जा रहा है।
माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में अभी भले काफी देरी हो लेकिन भाजपा और महागठबंधन की लड़ाई का केंद्र बिंदु सीमांचल ही होगा।
माना जा रहा है कि सीमांचल में पिछले विधानसभा चुनाव में एआइएमआइएम के पांच एमएलए जीते थे, ऐसे में भाजपा आशान्वित है कि अगर इस इलाके में ध्रुवीकरण होता है तो बिहार के साथ पश्चिम बंगाल में भी लाभ मिलेगा।
एक अनुमान के मुताबिक किशनगंज में 70, अररिया 45, कटिहार में 40 और पूर्णिया 30 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं।
इधर, महागठबंधन के सभी दलों की संयुक्त महारैली की घोषणा जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कर दी है। सिंह ने कहा कि अमित शाह की 23-24 सितंबर की रैली के बाद महागठबंधन द्वारा सीमांचल में महारैली का आयोजन किया जाएगा। इसमें भाजपा को करारा जवाब दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इलाके में सांप्रदायिक सद्भाव को मजबूत बनाने के लिए महारैली का आयोजन किया जाएगा।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में किशनगंज को छोड़ दें तो सीमांचल की ज्यादातर सीटों पर एनडीए का कब्जा रहा है। इसमें पूर्णिया, कटिहार और अररिया में एनडीए की जीत हुई थी, जबकि किशनगंज में कांग्रेस जीती थी।
भाजपा के एक नेता कहते है कि देश में भाजपा कहीं भी रैली कर सकती है। लोकतंत्र में सभी दलों की यह स्वतंत्रता है। उन्होंने कहा इस रैली का उद्देश्य भाजपा को अपने दम पर सीमांचल में साबित करना है कि उसकी भी ताकत है।
--आईएएनएस
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