• Aapki Saheli
  • Astro Sathi
  • Business Khaskhabar
  • ifairer
  • iautoindia
1 of 1

बिहार की ग्रामीण महिलाएं कर रही जंगल की पहरेदारी

Rural women of Bihar are guarding the forest - Patna News in Hindi

जुमई (बिहार) । बिहार में पर्यावरण संरक्षण में अब ग्रामीण महिलाओं की सक्रिय भागीदारी दिख रही है। जमुई जिले के खैरा प्रखंड की ग्रामीण महिलाओं ने जंगल और जंगल के पेड़ो को कटने से बचाने के लिए एक अनोखे प्रयास की शुरूआत की है।

वर्ष 2002 से ग्रामीण महिलाओं द्वारा शुरू किए गए इस प्रयास के जरिए ग्रामीणों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ी है। ये महिलाओं हाथ में डंडे लिए जंगलों की पहरेदारी कर रही हैं।

ग्रामीण बताते हैं कि खैरा प्रखंड के मंझियानी, सुअरकोट, भगरार, झियातरी, ललकीटांड गांव के समीप फैले जंगली क्षेत्रों में साल, आसन, बांस, करंज, महुआ, बेर सहित कई पेड़ हैं। पूर्व में आजीविका चलाने के लिए इन जंगली फसलों की खेती और कटाई के समय आस-पास के छोटे पेड़ों को काट दिया जाता था तथा जंगलों में आग भी लगा दी जाती थी।

इन महिलाओं ने इस जंगलों की बबार्दी देखकर जंगलों को बचाने और रक्षा करने के अनूठे प्रयास की शुरूआत की। ग्रामीण बताते हैं कि जमुई जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र खैरा प्रखंड के मंझियानी गांव की 52 वर्षीय चिंता देवी बीते दो दशक से भी अधिक समय से पर्यावरण संरक्षण और वन्य जीव को बचाने के लिए काम करती आ रही हैं।

चिंता देवी साल 2002 से ही जंगल में लगे पेड़ को बचाने के लिए काम करते आ रहीं हैं। पेड़-पौधों को बचाने के लिए उनका साथ इलाके की लगभग 20 से 25 महिलाएं भी देती हैं। चिंता देवी के नेतृत्व में महिला गश्ती दल बना है, जो हाथ में डंडा लेकर और मुंह से सिटी बजाकर इलाके के जंगल को बचाने का काम करती हैं।

चिंता देवी आईएएनएस को बताती हैं कि प्रारंभ में गांव के आसपास के जंगलों में लोग अपने लाभ के पेड को काट डालते थे, जिसस जंगल उजड़ते जा रहे थे। इसके बाद मैंने लोगों को टोकना प्रारंभ कर दिया। उन्होंने कहा कि प्रारंभ में तो इस काम में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन बाद में लोगों का और वन विभाग का साथ भी मिला।

चिंता देवी के रहते इलाके के किसी भी जंगल से कोई पेड़ काट नहीं सकता, यहां तक कि कई बार जंगल से भटके जंगली जानवर अगर गांव में आ जाते हैं तो उसे सुरक्षित फिर जंगल में छोड़ने में वन विभाग का सहयोग करती हैं। चिंता देवी भले ही पढ़ना लिखना नहीं जानती, लेकिन आज वे पर्यावरण को लेकर लोगों को पाठ पढ़ा रही हैं।

पर्यावरण संरक्षण को लेकर कई पुरस्कार पा चुकी चिंता देवी का कहना है कि उनके परिवारवालों ने भी इस काम को करने से कभी नहीं रोका। वे जंगलों में पेड, पौधों को अपना संतान मानती हैं।

उन्होंने कहा कि हम सभी महिलाएं जंगल की सुरक्षा के लिए डंडे के सहारे जंगल के अंदर चार से पांच घंटे तक पहरेदारी करते हैं। ये महिलाएं ग्रामीणों को पर्यावरण संतुलन को लेकर जागरूक भी करती हैं।

इन महिलाओं द्वारा चलाये जा रहे इस प्रयास की अब बाकी ग्रामीण प्रशंसा भी करते है और इस कार्य में अपना भी योगदान देते हैं।

आज कई गांव की महिलाएं चिंता देवी से जुडकर जंगल बचाने में जुटी हैं। चिंता देवी बताती हैं कि इन जंगलो ंमें 24 घंटे महिलाएं पहरेदारी करती हैं। इन्हें वन विभाग द्वारा भी समर्थन मिल रहा है।

ये महिलाएं अपने पास सीटी रखती है और किसी भी तरह के जंगल को नुकसान करने के प्रयास में सीटी बजाया जाता है और सभी महिलाएं उस जगह पहुंच जाती हैं।

जमुई के वन प्रमुडल पदाधिकारी पीयूष वर्णवाल ने बताया कि चिंता देवी बीते कई वर्षों से जंगल के पेड़ और वन्य जीव को बचाने के लिए काम करती आ रहीं हैं। वे पर्यावरण संरक्षण को लेकर कई बार सम्मानित भी हो चुकी हैं। वह जंगल को बचाने के लिए उस इलाके में और भी कई लोगों को जागरूक करती हैं। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर किए गए उनके कार्य सराहनीय तो हैं ही इनसे कई लोग इसे सीख भी रहे हैं।

--आईएएनएस

ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे

यह भी पढ़े

Web Title-Rural women of Bihar are guarding the forest
खास खबर Hindi News के अपडेट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक और ट्विटर पर फॉलो करे!
(News in Hindi खास खबर पर)
Tags: rural women of bihar are guarding the forest, rural women, bihar, guarding, forest, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news, patna news, patna news in hindi, real time patna city news, real time news, patna news khas khabar, patna news in hindi
Khaskhabar.com Facebook Page:

प्रमुख खबरे

आपका राज्य

Traffic

जीवन मंत्र

Daily Horoscope

Copyright © 2024 Khaskhabar.com Group, All Rights Reserved