पटना। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत को एक पत्र लिखकर भाजपा की कार्यशैली पर सवाल उठाया। केजरीवाल ने पत्र के माध्यम से पांच सवाल पूछे हैं, जिसने राजनीतिक हलकों में सियासत तेज कर दी है। केजरीवाल के पत्र का राजद ने समर्थन किया है।
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पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पत्र का समर्थन करते हुए राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि पत्र में वाजिब सवाल उठाए गए हैं। यह बात जनता भी जानना चाहती हैं कि आरएसएस ने भाजपा में जो क्राइटेरिया बनाया था, उसके तहत 75 साल के बाद लाल कृष्ण आडवाणी को रिटायर कर दिया, उन्हें मार्गदर्शक मंडल में भेज दिया गया था, लेकिन यह क्राइटेरिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर क्यों नहीं लागू किया जा रहा है। अरविंद केजरीवाल जो सवाल कर रहे हैं, वह वाजिब है ।
बता दें कि अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को पत्र लिखकर मोहन भागवत से कहा, "मैं आज के राजनीतिक हालात को लेकर बेहद चिंतित हूं। भाजपा देश को जिस दिशा में ले जा रही है, वह भारतीय लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है। यदि यही हालात रहे, तो हमारे लोकतंत्र का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।"
केजरीवाल ने अपने पहले सवाल में भाजपा पर आरोप लगाया कि वह ईडी और सीबीआई की धमकी देकर दूसरी पार्टियों के नेताओं को तोड़ रही है। उन्होंने पूछा, "क्या इस तरह एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनी हुई सरकार को गिराना सही है? क्या यह आरएसएस को मंजूर है?"
दूसरे सवाल में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह द्वारा भ्रष्ट नेताओं को भाजपा में शामिल करने के मामलों का जिक्र किया। केजरीवाल ने कहा, "क्या आरएसएस ने ऐसी बीजेपी की कल्पना की थी, जो अपने ही आरोपित नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कर रही है?"
तीसरे सवाल में उन्होंने आरएसएस की जिम्मेदारी पर जोर दिया, यह कहते हुए कि अगर भाजपा सही रास्ते से भटक रही है, तो आरएसएस को उसे सही करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
चौथे सवाल में केजरीवाल ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि "हमें आरएसएस की जरूरत नहीं है।" केजरीवाल ने कहा, "क्या बेटे ने मां को आंखें दिखाने का हक पा लिया है?"
आखिरी सवाल में केजरीवाल ने 75 साल की उम्र में नेताओं के रिटायरमेंट के कानून का हवाला देते हुए पूछा, "क्या आप सहमत हैं कि जिस कानून के तहत आडवाणी जी रिटायर हुए, वह अब मोदी जी पर लागू नहीं होगा? क्या कानून सभी के लिए समान नहीं होना चाहिए?"
--आईएएनएस
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