पटना । पटना उच्च न्यायालय ने
मंगलवार को बिहार में शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव रद्द कर दिए। अदालत ने
कहा कि बिहार सरकार और राज्य चुनाव आयोग ने ओबीसी और ईबीसी के लिए सीटों
के आरक्षण से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के निदेशरें का उल्लंघन किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने देश में लोगों के पिछड़ेपन के कारणों की पहचान करने के
लिए हर राज्य को एक ओबीसी और ईबीसी आयोग बनाने का निर्देश दिया है। बिहार
सरकार ने सामाजिक, वित्तीय, शैक्षिक और सेवा संबंधी पिछड़ेपन के कारणों की
पहचान करने का कोई प्रयास नहीं किया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
बिहार के सिटी एक्ट (सीएबी)
2007 के तहत, अदालत का मानना है कि राज्य सरकार और चुनाव आयोग ने ओबीसी और
ईबीसी निर्वाचन क्षेत्रों के लिए आरक्षित सीटों की घोषणा करने के सुप्रीम
कोर्ट के निदेशरें का पालन नहीं किया है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष
संजय जायसवाल ने कहा, उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया है कि ओबीसी और
ईबीसी को जो भी आरक्षण दिया जाता है, वह केवल भाजपा के कारण होता है। हमारे
पूर्व उप मुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद अपने कार्यकाल के दौरान ओबीसी और
ईबीसी के आरक्षण के लिए रोस्टर बना रहे थे। वह सीएम नीतीश कुमार और तेजस्वी
यादव ने रोस्टर को पलट दिया। उन्होंने शहरी स्थानीय निकायों के लिए
जल्दबाजी में चुनाव की घोषणा की और घोषणा के एक दिन बाद अधिसूचना भी जारी
कर दी।
--आईएएनएस
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