पटना । बिहार में अब कामकाजी महिलाएं अपने छोटे बच्चों के साथ भी अपने कार्यालय आ सकती हैं। समाज कल्याण विभाग के महिला विकास निगम अब ऐसे कार्यालयों में पालनाघर का बनवा रहे हैं जहां कम से कम 25 महिलाएं कार्यरत हों और बच्चों की संख्या 10 हो। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
गौरतलब है कि समाज कल्याण विभाग के महिला विकास निगम ने दो दिन पहले कामकाजी महिलाओं के पांच साल के बच्चों के उचित देखभाल के लिए तीन पालनाघर का उद्घाटन समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने सचिवालय परिसर में किया था।
सचिवालय में काम करने वाली महिलाएं सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक अपने छह महीने से लेकर पांच साल तक के बच्चों को रख सकती हैं। यहां बच्चों को खाना खिलाने से लेकर दूध पिलाने से लेकर प्री-स्कूल तक की सुविधाएं दी जाएंगी।
अधिकारियों के अनुसार, इन पालना घरों में बच्चों को प्री-स्कूल की सारी सुविधाएं भी दी जाएंगी। महिला विकास निगम द्वारा संचालित पालनाघर में एक समय में 10 बच्चों को रखने की सुविधा है। वहां उनकी सुरक्षा से लेकर खाने-पीने और पढ़ाई की सारी सुविधाओं का ध्यान रखा जाएगा। बच्चों की देखभाल के लिए दो महिलाओं को नियुक्त किया गया है।
मंत्री मदन सहनी कहते हैं कि जहां भी 25 महिलाएं कार्यरत होंगी और उनके 10 बच्चे होंगे, उनकी आवश्यकतानुसार पालनाघर स्थापित किए जाएंगे और इसकी संख्या बढ़ाई जाएगी। उन्होंने कहा कि गावों में भी अगर इसकी आवश्यकता होगी तो गांवों में भी पालना घर स्थापित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि बच्चों के कारण कई कामकाजी महिलाएं बीच में ही नौकरी छोड़ देती थीं। इस समस्या को दूर करने के लिए सरकार ने पालनाघर स्थापित करने की योजना बनाई है।
महिला विकास निगम की प्रबंध निदेशक हरजोत कौर बताती हैं कि मातृत्व लाभ अधिनियम 2017 के तहत जिन संस्थानों में 50 या उससे ज्यादा महिलाएं कार्यरत हैं, उन्हें अपने संस्थान में पालनाघर स्थापित एवं संचालित करना है। यदि किसी संस्थान में 25 महिलाएं कार्यरत हैं और वहां पर पालनाघर स्थापित करने की इच्छा जाहिर की जाती है, तो महिला विकास निगम इन्हें खोलने के लिए सहयोग करेगा।
उल्लेखनीय है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2017 में लोकसंवाद कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ताओं की मांग एवं नारी सशक्तीकरण योजना के तहत कामाकाजी महिलाओं के पांच वर्ष तक के छोटे बच्चों को कार्यस्थल के आसपास उचित देखभाल के उद्देश्य से पालनाघर की स्थापना और संचालन की स्वीकृति दी थी।
सहनी बताते हैं, "पालनाघर एक ऐसी सुविधा है जिसमें कामकाजी महिला अपने पांच वर्ष या उससे कम उम्र के बच्चों को अपने कार्य के दौरान छोड़कर जाती हैं तथा वहां बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उचित वातावरण उपलब्ध होता है।"
--आईएएनएस
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