• Aapki Saheli
  • Astro Sathi
  • Business Khaskhabar
  • ifairer
  • iautoindia
1 of 1

नीतीश, कुशवाहा की जोड़ी तेजस्वी के लिए चुनौती!

Nitish, Kushwaha challenge for duo Tejashwi! - Patna News in Hindi

पटना। बिहार में जातीय समीकरण को दुरूस्त कर ही सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने की परिपाटी पुरानी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा के जदयू में विलय कर एकबार फिर से 'लव-कुश' समीकरण को साधने की कोशिश की है।

कुशवाहा के जदयू में आने के बाद नीतीश कुमार ने जहां उन्हें पार्टी के संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया, वहीं राज्यपाल कोटे से उन्हें बिहार में उच्च सदन का सदस्य भी बनवा दिया। वैसे, नीतीश और कुशवाहा के एक होने के बाद सबसे बड़ी चुनौती राजद के लिए मानी जा रही है।

आंकडों पर गौर करें तो राजग में उपेंद्र कुशवाहा, जदयू, भाजपा, जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) और मुकेश सहनी की पार्टी विकासशील इंसान पार्टी के साथ रहने के बाद राज्य में जातीय वोटबैंक का बड़ा हिस्सा राजग के साथ माना जा रहा है।

पिछले वर्ष हुए विधानसभा परिणाम पर गौर करें तो राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सत्ता से मामूली अंतर से पिछड़ गई है। राजद का मुख्य वोटबैंक एम-वाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण को माना जाता है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एमआईएमआईएम पहले ही मुस्लिम मतदाताओं में सेंध लगा चुकी है।

नीतीश कुशवाहा को अपने साथ लाकर लव-कुश ( कुर्मी और कुशवाहा) समीकरण को मजबूत करने में जुटी है। गौरतलब बात है कि बिहार की छोटी से छोटी घटनाओं पर अपनी प्रतिक्रिया देने वाले राजद के नेता तेजस्वी यादव रालोसपा के विलय को लेकर अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी है।

दीगर बात है कि कुशवाहा के जदयू में आने के पहले ही रालोसपा के कई दिग्गज नेता को तेजस्वी अपने पाले में करने में सफल रहे थे।

बिहार में जातीय समीकरण को दुरूस्त कर सत्ता में पहुंचने की कवायद कोई नई बात नहीं है। लालू प्रसाद भी बिहार में जातीय समीकरण को दुरूस्त कर ही 15 सालों तक सत्ता में बने थे।

कुशवाहा की पार्टी पिछले साल हुए विधनसभा चुनाव में एक भी सीट भले ही नहीं जीत सकी हो लेकिन लोकसभा चुनाव 2014 में रालोसपा 3 सीट पर लड़ी थी, तीनों जीती थी। लोकसभा चुनाव 2019 में रालोसपा 5 सीट पर लड़ी, सभी हारी थी। पिछले विधानसभा चुनाव के बाद कुशवाहा एकबार फिर नीतीश कुमार के साथ आ गए हैं।

विपक्ष हालांकि इसे बहुत तरजीह देने के मूड में नहीं दिखता है। कांग्रेस के नेता और प्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष ललन कुमार कहते हैं कि, "मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा दो टूटे हुए 'फिलामेंट' को जोड़कर बल्ब नहीं जलाया जा सकता है। जनता इन्हें पूरी तरह से नकार चुकी है। जदयू का जनाधार खत्म हो चुका है, इसका उदाहरण पिछला चुनाव है।"

उन्होंने कहा कि कहा कि, "दिल्ली की राजनीति से आउट होने के बाद कुशवाहा बिहार में अपनी राजनीतिक अस्मिता बचाने के लिए जदयू में सम्मिलित हुए हैं।"

उन्होंने कहा कि जातीय राजनीति बहुत दिन तक नहीं चलती है। उन्होंने कहा कि सत्ता के लिए दोनों एक साथ हुए हैं। वे इन दोनों को साथ आने को किसी के लिए भी चुनौती नहीं मानते।

--आईएएनएस

ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे

यह भी पढ़े

Web Title-Nitish, Kushwaha challenge for duo Tejashwi!
खास खबर Hindi News के अपडेट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक और ट्विटर पर फॉलो करे!
(News in Hindi खास खबर पर)
Tags: chief minister nitish kumar, former union minister upendra kushwaha, party rlsp, jdu merger, challenge for tejaswi, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news, patna news, patna news in hindi, real time patna city news, real time news, patna news khas khabar, patna news in hindi
Khaskhabar.com Facebook Page:

प्रमुख खबरे

आपका राज्य

Traffic

जीवन मंत्र

Daily Horoscope

Copyright © 2024 Khaskhabar.com Group, All Rights Reserved