पटना। बिहार के बहुचर्चित मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामले में दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को अहम फैसला सुनाते हुए एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के मालिक ब्रजेश ठाकुर सहित कुल 19 लोगों को दोषी करार दिया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इस फैसले का बिहार के कई राजनीति दलों ने स्वागत किया है, मगर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अभी भी कई सवालों को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा है। अदालत द्वारा दोषी पाए जाने के बाद यह तय है कि ब्रजेश ठाकुर को कठोर सजा मिलेगी, लेकिन ब्रजेश की कभी सत्ता तक हन और धमक थी।
सत्ता में इसकी हनक का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब यह मामला सामने आया था, तब बिहार के तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा को इस्तीफा देना पड़ा था। मुजफ्फरपुर से लेकर पटना की राजनीतिक गलियारों तक में ब्रजेश की पहुंच थी। कहा जाता है कि ब्रजेश ठाकुर 'प्रात:कमल' नाम से अपना एक अखबार चलाया करता था, जिसके सिलसिले में वह मंत्रियों और अधिकारियों से मिलता था और उनसे संपर्क बनाता था। ब्रजेश के अखबार को सरकारी विज्ञापन भी खूब मिलता था।
दिल्ली के साकेत कोर्ट ने मुजफ्फरपुर जिला स्थित एक आश्रय गृह में लड़कियों के साथ यौन शोषण मामले में यह फैसला सुनाया है। ठाकुर सेवा संकल्प एवं विकास समिति नामक एनजीओ के मालिक ब्रजेश को भी दोषी पाया गया है। एक चिकित्सा परीक्षण में आश्रय में रहने वाली 42 लड़कियों में से 34 के यौन शोषण की पुष्टि हुई थी। इस मामले में 31 मई, 2018 को 12 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
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