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बिहार में 2021 के दौरान 45 लाख लीटर से अधिक शराब जब्त

More than 45 lakh liters of liquor seized in Bihar during 2021 - Patna News in Hindi

पटना । बिहार में 2021 के दौरान प्रवर्तन एजेंसियों ने 45.37 लाख लीटर से अधिक शराब जब्त की है। ऐसे राज्य में जहां शराब पूरी तरह से प्रतिबंधित है, इतनी बड़ी मात्रा में शराब की जब्ती बड़े सवाल खड़े करती है।

इस जब्ती में भारत में बनी विदेशी शराब (आईएमएफएल) की मात्रा 32.14 लाख लीटर है, जबकि 15.62 लाख लीटर देशी शराब जब्त की गई है।

बिहार पुलिस ने वैशाली जिले से 5.21 लाख लीटर शराब जब्त की है, जबकि अधिकारियों ने इसके बाद 3.97 लाख लीटर शराब पटना जिले से जब्त की है।

मुजफ्फरपुर तीसरे स्थान पर है, जहां पुलिस ने 2.87 लाख लीटर शराब पकड़ी है। इसके बाद औरंगाबाद में 2.71 लाख लीटर और मधुबनी जिले में 2.61 लाख लीटर जब्त की गई है।

ये आंकड़े इस बात का संकेत हैं कि बिहार में शराब के इस्तेमाल और प्रतिबंध के बावजूद यह कितनी आसानी से उपलब्ध है।

अक्टूबर और नवंबर 2021 में जहरीली शराब के कारण कई मौतों के बाद, बिहार सरकार ने उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की थी, लेकिन बड़ी मछलियां अभी भी प्रवर्तन एजेंसियों की पहुंच से बाहर हैं। नतीजतन, बिहार में अन्य राज्यों से शराब, खासकर आईएमएफएल की तस्करी अभी भी जारी है।

बिहार पुलिस के आधिकारिक प्रवक्ता के अनुसार राज्य में शराबबंदी अधिनियम के तहत 66,258 प्राथमिकी दर्ज की गई है और 82,903 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है।

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) जैसे विपक्षी दलों ने कहा है कि शराब निषेध अधिनियम के तहत दर्ज अपराधियों में से अधिकांश शराब का सेवन करने वाले हैं।

राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, असली व्यापारी या तस्कर जिनकी अपराध में बड़ी भूमिका है, वे बिहार पुलिस की पहुंच से बाहर हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी कहा है कि बिहार में केवल गरीब लोगों को गिरफ्तार किया गया है और एक भी आईएएस, आईपीएस, डॉक्टर, इंजीनियर, बड़े व्यवसायी, ठेकेदार सहित अन्य को नहीं पकड़ा गया है।

उन्होंने कहा कि गरीब लोगों को गिरफ्तार किया जाता है क्योंकि वे नशे में सड़कों पर घूमते हैं।

विपक्षी नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य में शराबबंदी के क्रियान्वयन में कमी है, क्योंकि इसमें पुलिसकर्मी और अधिकारी शामिल हैं।

बिहार पुलिस के एक प्रवक्ता ने कहा, राज्य में शराब उल्लंघन या शराब माफिया से संबंध रखने के आरोप में 30 पुलिस कर्मियों और अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया गया है। इसके अलावा 17 एसएचओ को उनके पदों से निलंबित कर दिया गया है। पुलिस विभाग ने 45 पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है और 134 पुलिस कर्मियों और अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई है।

राज्य में शराब के उल्लंघन का एक प्रमुख कारण दोषसिद्धि की धीमी दर है। अप्रैल 2016 में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद पटना उच्च न्यायालय ने कानून के तहत आने वाले मामलों की सुनवाई के लिए हर जिले में विशेष अदालतें गठित की थीं। नतीजतन, अदालतों पर एक बड़ा बोझ आता है और इसकी सुनवाई में देरी हो जाती है।

बिहार पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, शराब निषेध अधिनियम के तहत 66,258 प्राथमिकी दर्ज की गई है और 82,903 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन 310 को दोषी ठहराया गया है।

इस मुद्दे को भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन. वी. रमना ने भी 27 दिसंबर को सही ढंग से इंगित किया था, जब उन्होंने कहा था कि 2016 में बिहार सरकार द्वारा शराब प्रतिबंध जैसे फैसलों ने अदालतों पर भारी बोझ डाला है। उन्होंने कहा कि यह बिहार सरकार का अदूरदर्शी फैसला है।

रमना ने कहा, अदालतों में तीन लाख मामले लंबित हैं। लोग लंबे समय से न्याय का इंतजार कर रहे हैं और अब शराब के उल्लंघन से जुड़े अत्यधिक मामले अदालतों पर अतिरिक्त बोझ डाल रहे हैं।

रमना ने कहा कि हर नीति को जमीनी स्तर पर लागू करने से पहले भविष्य की योजना, उसके मूल्यांकन और संवैधानिकता के साथ संबोधित करने की जरूरत है। 2016 में नीतीश कुमार सरकार द्वारा शराबबंदी के फैसले के साथ, पहले से ही बड़ी संख्या में मामले अदालतों में लंबित हैं।

साधारण मामलों में भी जमानत की सुनवाई में अदालतों में एक साल का समय लग रहा है।

उन्होंने कहा, शराब निषेध अधिनियम में जमानत से संबंधित आवेदन बड़ी संख्या में हाईकोर्ट में प्रस्तुत किए जाते हैं। विभिन्न सरकारों द्वारा लागू की गई अदूरदर्शी नीतियों के कारण देश में न्यायालयों का कार्य प्रभावित हो रहा है। लागू होने से पहले हर कानून पर अच्छी तरह से और ठोस बिंदुओं के साथ चर्चा की जानी चाहिए।

--आईएएनएस

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Web Title-More than 45 lakh liters of liquor seized in Bihar during 2021
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