पटना। बिहार कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के चेयरमैन और राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह ने कहा है कि बिहार में महागठबंधन मिलकर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने यह भी कहा कि नेता या मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार महागठबंधन में शामिल दल मिल बैठकर तय करेंगे। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि बिहार के लोग वर्तमान सरकार से नाखुश हैं और विकल्प की तलाश कर रहे हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
आईएएनएस के साथ विशेष बातचीत में पूर्व केंद्रीय मंत्री सिंह ने कहा कि नेता या मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर महागठबंधन में कोई विवाद नहीं है। उन्होंने दावा करते हुए कहा, "अगले एक महीने के अंदर महागठबंधन में सीटों से लेकर नेता तक सब स्पष्ट हो जाएगा। महागठबंधन में शामिल दलों में से कोई भी कहीं नहीं जा रहा है।"
उन्होंने कहा कि नेता या मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार महागठबंधन में शामिल दल मिल बैठकर तय करेंगे। हालांकि उन्होंने यह भी दबे अंदाज में स्वीकार किया कि जो भी बड़ा दल होगा, उसी का नेता होगा, इसमें कहीं अंतर्विरोध नहीं है।
उन्होंने कांग्रेस की कमियों को स्वीकार करते हुए कहा कि अभी तक राज्य में कमेटी भी नहीं बनाई गई है। इस पर आईएएनएस के 'कांग्रेस की स्थिति बिना बारात के दुल्हे' जैसे प्रश्न पर उन्होंने बेबाकी से कहा, "यह सच है। समिति का गठन नहीं किया गया है। जिले में भी नई समिति नहीं हैं।"
कांग्रेस में बदलाव की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि पिछले दिनों पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बिहार के नेताओं के साथ वर्चुअल बैठक की थी, जिसमें ये सभी बातें रखी गई थीं। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि बहुत जल्द आपको बिहार कांग्रेस में आमूलचूल परिवर्तन नजर आएगा।
सिंह ने महागठबंधन में समन्वय समिति को लेकर आईएएनएस से कहा, "समन्वय समिति घटक दलों में समन्वय स्थापित करने के लिए होना चाहिए। राजद और कांग्रेस का साथ कई वषरें से है। समन्वय है तभी तो साथ में हैं।" उन्होंने दोहराया कि समिति को लेकर कोई गठबंधन नहीं छोड़ रहा है, ऐसी कोई बात या स्थिति नहीं है।
महागठबंधन में शामिल सभी लोग मिलकर एक साथ चुनाव लड़ेंगे, क्योंकि यहां के लोग विकल्प की तलाश में हैं।
सिंह ने कहा, "नीतीश कुमार की सरकार 15 सालों की बात करती है, लेकिन आज भी दो घंटे की बारिश में पटना में जलजमाव की समस्या उत्पन्न हो जाती है। नीतीश कुमार जी ने तो पटना को टोक्यो और सिंगापुर बनाने की बात कही थी।"
सिंह ने आगे कहा कि 15 साल के शासनकाल में एक सुई का कारखाना भी बिहार में नहीं लगा। उन्होंने आंकड़ों के हवाले के साथ कहा कि नीति आयोग की रिपोर्ट है कि औद्योगीकरण के मामले में बिहार अन्य राज्यों से सबसे पीछे है जबकि स्वास्थ्य, शिक्षा में भी यह अन्य राज्यों से फि सड्डी है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने दावा करते हुए कहा कि आज बिहार की सभी चीनी मिल बंद हैं या बंद होने के कगार पर हैं जबकि कांग्रेस के शासनकाल में देश में 27 फीसदी चीनी का उत्पादन बिहार में होता था। उन्होंने मुख्यमंत्री से सवाल भी पूछा कि आखिर ये कैसा विकास है?
सिंह ने कहा कि कोरोना काल में अन्य राज्यों से प्रवासी मजदूर लौटकर बिहार आए थे, उनका अब फि र से पलायन करना प्रारंभ हो गया है। यहां के विकास की पोल खोलने के लिए यही बात काफी है।
--आईएएनएस
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