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लालू का जेटली से मिलना नहीं भाया था नीतीश को और टूट गई थी राजद, जदयू की दोस्ती

Lalu did not like to meet Jaitley, Nitish was broken and RJD, JDU friendship - Patna News in Hindi

पटना। बिहार की राजनीति में जदयू और राजद का गठबंधन और फिर कुछ ही समय के बाद जदयू का महागठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ आकर राज्य में सरकार बनाना। जदयू के महागठबंधन से अलग होने का कारण आमतौर पर राजद नेता तेजस्वी यादव के भ्रष्टाचार मामले का आरोप माना जा रहा हो, लेकिन इसकी शुरूआत तब ही से हो गई थी, जब राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद अपने दल के नेता प्रेमचंद गुप्ता के साथ भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे अरूण जेटली से मिले थे। इन बातों का खुलासा बिहार के पत्रकार और लेखक संतोष सिंह ने अपनी पुस्तक 'जेपी टू बीजेपी' में किया है। इस पुस्तक में जेपी के समाजवाद से लेकर भाजपा के राष्ट्रवाद तक की कहानी है। संतोष सिंह आईएएनएस को बताते हैं कि, "लालू प्रसाद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात जब प्रकाश पर्व के मौके पर पटना में होती है, तब प्रधानमंत्री खुद लालू प्रसाद यादव और उनके दोनों बेटे तेजप्रताप यादव और तेजस्वी से मिलते हैं और कहते हैं कैसे हैं आप, आपकी कहानी मुझे प्रेमचंद गुप्ता से मिलती रहती है। साथ ही वो तेजप्रताप से कहते हैं कैसे हो कृष्ण कन्हैया।"

सिंह ने बताया कि पुस्तक में 2017 में नीतीश-लालू की दोस्ती टूटने का पूरा जिक्र है। वे कहते हैं, "पुस्तक में विस्तृत रूप से लालू के नीतीश से अलग होने के विषय में लिखा गया है। साल 2016 में जब लालू यादव अपने ही नेता प्रेमचंद गुप्ता के द्वारा दिल्ली में भाजपा के बड़े नेताओं तक अपनी बात पहुंचाते हैं और जब संजय झा के द्वारा इसकी भनक नीतीश कुमार को लगती है, वहीं से भाजपा की ओर से नीतीश को साथ आने का इशारा मिल जाता है।"

उसी दौरान मोदी जब प्रकाशोत्सव में शामिल होने पटना आते हैं तभी गांधी मैदान में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मोदी की लालू, तेजस्वी और तेजप्रताप से मुलाकात होती है। इस मुलाकात का पुस्तक में रोचक तरीके से जिक्र किया गया है।

पुस्तक में लोजपा नेता रामविलास पासवान के भी विषय में काफी कुछ लिखा गया है। पुस्तक में संतोष ने कहा है कि पासवान को बिहार का मुख्यमंत्री बनने का दो बार मौका मिला, लेकिन उन्होंने उस प्रस्तावों को नकारते हुए केंद्र की ही राजनीति करने का निर्णय लिया।

संतोष कहते हैं कि 1990 में बिहार चुनाव के बाद विश्वनाथ प्रताप सिंह की पहली पसंद बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में रामविलास पासवान थे, लेकिन उनके द्वारा इस प्रस्ताव को अस्वीाकर करने के बाद रामसुंदर दास उनकी पसंद बने। इसके बाद इस पुस्तक में लालू प्रसाद के मुख्यमंत्री बनने की भी पटकथा का जिक्र किया गया है।

संतोष ने बताया कि उनकी किताब 'जेपी टू बीजेपी' में बिहार में समाजवाद और बीजेपी की दोस्ती, लड़ाई, संघर्ष और चुनौती की कहानी है। इसमें जय प्रकाश नारायण के तीनों शिष्यों रामविलास पासवान, लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार की कई अनसुने सियासी सफर का उल्लेख किया गया है।

इस पुस्तक में लालू प्रसाद के पुत्र तेजस्वी और रामविलास पासवान के पुत्र चिराग की सियासत में आने तक की कहानी बताई गई है।

संतोष सिंह कहते हैं, "इस पुस्तक को लिखने के पूर्व बिहार के दिग्गज नेताओं से मुलाकात की और उनका साक्षात्कार किया।" अंग्रेजी में लिखी गई यह पुस्तक अमेजन और कई बुक स्टॉलों पर उपल्बध है। यह पुस्तक सेज और वितस्ता पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित की गई है।

--आईएएनएस

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Web Title-Lalu did not like to meet Jaitley, Nitish was broken and RJD, JDU friendship
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