पटना। बिहार के किसान अब अपनी सब्जियां एप के जरिए बेच सकेंगे। इसके लिए सहकारिता विभाग ने तैयारी प्रारंभ कर दी है जिसके तहत किसानों को न बाजार जाना पडेगा और न हीं बिचौलियों को मनुहार करनी पडेगी। सरकार का मानना है कि किसान अपने खेतों में सब्जियां तो उगा लेते हैं लेकिन उसका लाभ किसानों को नहीं मिल पाता है। इस योजना के बाद राज्य भर में एक प्रभावी सब्जी आपूर्ति का चेन तैयार हो जाएगा, जिससे सब्जी उत्पादकों को बेहतर बाजार एवं उचित दाम मिल सकेगा। उपभोक्ताओं को भी गुणवत्तापूर्ण सब्जियां उपलब हो सकेगी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इस एप का नाम 'तरकारी एप' रखा जा रहा है। इस योजना के तहत अन्य राज्यों में भी बिहार के 'तरकारी ब्रांड' को बढ़ाने का काम तेज किया जाएगा।
सहकारिता विभाग के एक अधिकारी बताते हैं कि अभी पायलट प्रोजेक्ट के तहत 15 जिलों को शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि इस एप का लाभ केवल उन किसानों को मिलेगा, जो अपपने जिले के किसी न किसी सब्जी उत्पादक समिति से जुडे होगे।
इस एप के जरिए किसान अपनी सब्जी की मात्रा और भाव (मूल्य) की जानकारी अपलोड कर सकेंगे, जिससे बाजार जाने की जरूरत समाप्त हो जाएगी। इस एप से किसानों और ग्राहकों को सीधा लाभ होगा।
तरकारी ब्रांड को हर प्रखंड में स्थापित करने की कार्य योजना पर काम किया जा रहा है। इसके लिए प्रखंड मुख्यालय में सहकारिता विभाग द्वारा एक सब्जी मार्केट विकसित किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि कुछ महीने पहले को-ऑपरेटिव सोसायटी के मायम से तरकारी ब्रांड को लांच करते हुए ग्राहकों को आनलाइन सब्जी की उपलबता के लिए इस योजना की शुरुआत की थी। उस समय पटना और पूर्वी चंपारण जिले के लोगों के लिए यह स्कीम लागू की गई थी।
सरकार सब्जी उत्पादकों को किसान क्रेडिट कार्ड देने की भी व्यवस्था की गई है तथा तरकारी ब्रांड को हर प्रखंड में स्थापित करने की कार्य योजना पर काम किया जा रहा है। इसके लिए प्रखंड मुख्यालय में सहकारिता विभाग द्वारा एक सब्जी मार्केट विकसित किया जा रहा है।
अधिकारी का मानना है कि सरकार सब्जी उत्पादकों को हर सुविधा देने की तैयारी में है। कहा जा रहा है कि किसान अगर सब्जी उपलब्धता देंगे तो समितियों को उसका उत्पाद खरीदना ही होगा। इस व्यवस्था से पारिदर्शिता भी आएगी।
सहकारिता विभाग के मुताबिक तरकारी ब्रांड को प्रमोट कर सब्जी उत्पादन को प्रोत्साहित किया जा रहा है। उत्पादकों को भी आर्थिक रूप से सबल बनाने की प्राथमिकता दी जा रही है। (आईएएनएस)
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