पटना| बिहार के 19 जिलों में कहर
बरपाने के बाद नेपाल से आने वाली नदियों के जलस्तर में कमी हुई है, इस कारण
बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों से भी पानी का निकलना शुरू हो गया है। बाढ़ग्रस्त
क्षेत्रों से पानी निकलने के बाद लोग भले ही राहत की सांस ले रहे हों, मगर
अब उन्हें बीमारियों का डर सताने लगा है।
ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इस वर्ष बाढ़ प्रभावित 19 जिलों के डेढ़ लाख से ज्यादा बाढ़ पीड़ित
अभी भी राहत शिविरों में जिंदगी गुजारने को विवश हैं। चिकित्सकों का भी
मानना है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बीमारियों की आशंका बनी रहती है।
वैसे स्वास्थ्य विभाग और आपदा प्रबंधन विभाग इन आशंकाओं के मद्देनजर तैयारी
में जुटी है।
पटना के जाने माने चर्म रोग विषेषज्ञ डॉ़ सुधांशु
सिंह आईएएनएस से कहते हैं कि बाढ़ के दौरान एकत्रित ज्यादातर पानी में
बैक्टीरिया पैदा होते हैं, जिस कारण कई प्रकार की त्वचा संक्रमण जैसी
बीमारी हो जाती है। उन्होंने पानी को उबाल कर पीने की सलाह दी है और कहा कि
लोग शरीर में आवश्यक खनिज आपूर्ति के लिए नारियल पानी या पैक पानी का
उपयोग कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, "कई स्थानों पर लोग भूजल पर
निर्भर होते हैं, वे जीवाणु संक्रमण से छुटकारा पाने के लिए पानी में
क्लोरीन मिला सकते हैं।"
नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चिकित्सक
डॉ़ विपिन कुमार बताते हैं कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पानी उतरने के
बाद बीमारियों की आशंका रहती है। बाढ़ग्रस्त इलाकों में सफाई एवं स्वच्छता
के अभाव से हैजा, दस्त फैलने और संक्रमण के विभिन्न प्रकारों के रोगों के
फैलने की संभावना बढ़ जाती है। इस समय सुरक्षित और स्वच्छ पानी का सेवन
किसी भी बीमारी से बचने के लिए जरूरी है।
उन्होंने कहा, "बाढ़ से
उबरे क्षेत्रों में गैस्ट्रोइंट्रोटाइटिस, मलेरिया, टायफायड, डायरिया,
पीलिया, नेत्र और चर्म रोग की आशंका बनी रहती है।"
राज्य के कई
क्षेत्रों से बाढ़ का पानी निकल गया है, जबकि कई क्षेत्रों से अभी पानी
निकल रहा है। कई क्षेत्रों में लोगों ने सड़क को ही शौचालय बना लिया है,
जिससे बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ गया है। कोसी के कई क्षेत्र ऐसे हैं,
जहां लोगों को काफी दूर पानी व कीचड़ से होकर घर तक जाना पड़ता है।
राज्य
स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी का दावा है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में बलीचिंग पाउडर, बैमेक्सिन, चूना और जरूरी
दवाएं स्टॉक की गई हैं।
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय
बताते हैं कि बीमारियों की आशंका वाले क्षेत्रों में चलंत चिकित्सा शिविर
स्थापित किया गया है। इन क्षेत्रों में चिकित्सा दलों के अलावे पशु शिविरों
की स्थापना की गई है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को भी निर्देश दिया गया
है कि बाढ़ का पानी उतरने के बाद किसी गांव में बीमारी से अधिक लोग पीड़ित
हो रहे हैं, तो तत्काल इसकी सूचना सिविल सर्जन को दें, जिससे चिकित्सीय
टीम वहां समय पर भेजी जा सके।
उन्होंने बताया कि बाढ़ प्रभावित
क्षेत्रों के लिए हैलोजन टैबलेट, सांप काटने पर दी जाने वाली दवा एएसबीएस
तथा कुत्ता काटने पर दी जाने वाली दवा स्टॉक किया गया है।
हाल में
आई बाढ़ से राज्य के 19 जिलों के 186 प्रखंडों की 1.61 करोड़ से ज्यादा की
आबादी बाढ़ से प्रभावित है। बाढ़ की चपेट में आने से 440 लोगों की मौत हो
चुकी है।
आईएएनएस
बिहार : महागठबंधन में कई सीटों को लेकर नहीं बन रही बात
घोषणापत्र को मंजूरी देने के लिए कांग्रेस कार्य समिति की बैठक,हो सकती है उम्मीदवारों की घोषणा
एल्विश यादव की जमानत की अर्जी लगाने में जुटे वकील
Daily Horoscope