तेजस्वी एनआरसी पर प्रस्ताव सदन से पास कराकर यह बताने में कामयाब रहे कि
उन्होंने अल्पसंख्यकों की लड़ाई लड़ी। भले ही कन्हैया कुमार, पप्पू यादव,
जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा सीएए-एनआरसी के खिलाफ आंदोलन चला रहे
हों, लेकिन तेजस्वी ने एक झटके में महागठबंधन के बाकी दल के नेताओं से
मुद्दा ही छीन लिया है। कन्हैया कुमार ने पूरे बिहार में घूम-घूम कर
एनआरसी-सीएए को लेकर यात्रा निकाली थी।
कन्हैया की सभा में भारी भीड़ उमड़
रही थी, जिससे तेजस्वी परेशान थे। कन्हैया इसी मुद्दे को लेकर 27 फरवरी को
पटना के गांधी मैदान में बड़ी रैली कर रहे हैं। लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश और
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी ने मिलकर दोनों गठबंधन के घटक दलों का तो शिकार कर
ही लिया। उसके अलावा कन्हैया, प्रशांत किशोर सरीखे नेताओं के अभियान की भी
हवा निकाल दी।
तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार की इस मुलाकात का रिजल्ट जहां
भाजपा के संकल्प के खात्मे के साथ हुआ, वहीं बिहार की राजनीति में यह
स्थापित हो गया कि इस सूबे में आज भी सत्तापक्ष का चेहरा नीतीश कुमार हैं
और विपक्ष का चेहरा तेजस्वी यादव हैं। नीतीश ने सत्ता में भागीदार भाजपा के
संकल्प को ही खत्म कर दिया और उसके नेता देखते रह गए।
(IANS)
CJI को वकीलों की चिट्ठी पर मोदी ने कहा, डराना-धमकाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक कश्मीर में नजरबंद
शराब घोटाला मामला: एक अप्रैल तक ईडी की हिरासत में केजरीवाल
Daily Horoscope