पटना। बहुचर्चित रूपेश कुमार सिंह की हत्या मामले में बिहार सरकार के एक पूर्व आईपीएस ने प्रदेश की नीतीश सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। इससे पहले, विपक्षी दलों ने भी रूपेश सिंह हत्या मामले में बिहार पुलिस की मंशा पर सवाल उठाए थे। अब वरिष्ठ सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी ने जांच पर संदेह जताया है और मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। पूर्व अधिकारी ने जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराने की मांग भी की है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
1994 बैच के आईपीएस अधिकारी (सेवानिवृत्त) अमिताभ कुमार दास ने आरोप लगाते हुए कहा है कि अगर बिहार पुलिस ने निष्पक्ष जांच की, तो कई शीर्ष राजनेताओं और नौकरशाहों को जेल की हवा खानी पड़ेगी। बिहार के डीजीपी के नाम लिखे पत्र में पूर्व आईपीएस दास ने कहा है, रूपेश सिंह हत्याकांड के तार बिहार में चल रहे खूनी टेंडर वार से जुड़े हैं। खूनी टेंडर वार उजागर होने पर बिहार सरकार के कई मंत्री तथा आईएएस अधिकारी जेल चले जाएंगे। इससे पहले, विपक्षी नेताओं तेजस्वी यादव, राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव और मदन मोहन झा ने जांच पर संदेह जताया था।
डीजीपी एस.के. सिंघल ने संकेत दिया है कि हत्या के पीछे हवाईअड्डे की पार्किं ग पर विवाद हो सकता है। सिंघल के बयान के बाद तेजस्वी ने ट्वीट कर कहा कि बिहार पुलिस वास्तविक अपराधियों को बचाने के लिए बलि का बकरा ढूंढ रही है। तेजस्वी ने ट्वीट कर कहा, "राज्य के गृह मंत्री (नीतीश) ने अपनी सरकार में शीर्ष पदों पर बैठे लोगों को बचाने के बहाने खोजने के लिए एक निविदा जारी की है।"
पप्पू यादव ने कहा कि यह सारा खेल रूपेश सिंह हत्याकांड के वास्तविक दोषियों को बचाने के लिए खेला जा रहा है। वहीं मदन मोहन झा ने कहा कि मृतक के परिवार को भी बिहार पुलिस से सही जांच की उम्मीद नहीं है।
--आईएएनएस
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