पटना। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बुधवार को संसद में पेश आम बजट को जहां बिहार भाजपा ने सराहा है, वहीं बिहार में सत्तारूढ महागठबंधन में शामिल राजद, कांग्रेस और जदयू ने इसे आम लोगों के लिए धोखा बताते हुए कहा कि इस बजट से बिहार के लोगों को निराशा हाथ लगी है।
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बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने इसे भविष्य के सशक्त भारत की बुनियाद रखने वाला बजट करार देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों पर चलते हुए भारतीय अर्थव्यस्था के आकार में पिछले 9 वर्षों में एतिहासिक बढ़ोतरी हुई है।
नीतीश पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि सबसे दुखद बात यह है कि बिहार के मुख्यमंत्री को पता ही नहीं है कि बजट में क्या है। फिर वह इस बजट के योजनाओं का लाभ बिहार के लिए कैसे ले पाएंगे।
उन्होंने कहा कि इस बजट में मध्यम वर्ग, गांव, किसान, गरीब, मजदूर समेत समाज के हर वर्ग का ख्याल रखा गया है। बजट के प्रावधानों से बिहार जैसे विकासशील राज्यों को भी काफी लाभ मिलेगा।
उन्होंने कहा कि बजट में कर मुक्त आय की सीमा को 5 लाख से बढ़ाकर 7 लाख कर दिया गया है, जिसका सीधा लाभ देश के करोड़ों मध्यम आय वाले परिवारों को होगा। डॉ जायसवाल ने कहा कि बजट में तीन वर्षों में 3.5 लाख जनजातीय विद्यार्थियों के लिए 740 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों में 38,800 अध्यापकों तथा सहयोगी कर्मचारियों को नियुक्त करने का प्रावधान किया गया है।
राजद नेता और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि इस बजट से बिहार को कोई उम्मीद भी नहीं थी और बजट में कुछ मिला भी नहीं।
तेजस्वी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा, 2014 में केंद्र की भाजपा सरकार ने कहा कि 2022 में किसानों की आय दुगुनी करेंगे।
2022 में सबको आवास देंगे। 2022 तक 80 करोड़ लोगों को नौकरी-रोजगार देंगे। अब 2023 भी आ गया लेकिन इनकी जुमलेबाजी की आदत नहीं गयी।
भाजपा को 100 प्रतिशत सांसद देने वाले बिहार को भाजपाइयों ने बजट में फिर ठगा।
उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि देश में महंगाई, बेरोजगारी बेतहासा बढ़ गई है, लेकिन इसको रोकने के लिए बजट में कोई विजन नहीं दिखा है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने नहीं बताया कि सरकार कैसे आम लोगों को इन समस्याओं से उबारने में मदद करेगी।
बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह ने बजट पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह बजट पूर्णतया निराशाजनक और फीका रहा। राज्य समेत देश की जनता के आशाओं पर पानी फेरने वाला रहा क्योंकि टैक्स स्लैब में छूट तब प्रासंगिक होता जब कोरोना से बेरोजगार हुए लोगों के रोजगार के लिए यह सरकार बजट में कुछ विशेष प्रावधान करती।
उन्होंने बजट को अमीरों का बजट बताते हुए कहा कि छोटे एवं मंझोले व्यवसायियों के लिए इस बजट में कुछ नहीं रहा वहीं बिहार जैसे पिछड़े राज्य के लिए इस बजट में विशेष पैकेज की भी घोषणा नहीं की गई।
बिहार के लिए रेलवे जीवन रेखा है और बिहार में कोई नई रेल परियोजना या आमजन के लिए नई ट्रेनों की योजना का नहीं होना निराशाजनक है।
इधर, जदयू के बिहार प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि केन्द्रीय बजट में आम आदमी का हाथ खाली रहा। वित्त मंत्री ने बजट भाषण में कहा कि प्रतिव्यक्ति आय दोगुनी हो गई, लेकिन किसकी हुई? महंगाई और बेरोजगारी पर सरकार चुप क्यों है? मनरेगा की भी बजट में कोई चर्चा नहीं। बिहार को तो केन्द्र सरकार ने छला है ही। उन्होंने कहा कि यह बजट एकदम दिशाहीन और खोखला है ।
--आईएएनएस
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