पटना। बिहार के लखीसराय से लेकर पटना जिले तक फैले टाल (ताल) क्षेत्र को ऐसे तो दाल का कटोरा माना जाता है, परंतु इस साल जलजमाव के कारण क्षेत्र के किसानों के सुर बदल गए हैं। इस क्षेत्र के किसान इस साल अधिक दिनों तक जलजमाव के कारण परेशान हैं। गंगा नदी के किनारे स्थित क्षेत्र का नाम निचले क्षेत्र होने के कारण टाल क्षेत्र पड़ा है। बिहार के कृषि उत्पादन में इस क्षेत्र की अहम भमिका है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
बिहार में लखीसराय से पटना तक फैले इस क्षेत्र में बख्तियारपुर, बाढ़, फतुहा, मोकामा, मोर, बड़हिया और सिंघौल टाल क्षेत्र में आते हैं। करीब 110 किलोमीटर लंबाई और 6 से 15 किलोमीटर की चौड़ाई में पसरा यह क्षेत्र दाल के उत्पादन के लिए मशहूर है। यह क्षेत्र दाल की पैदावार खासकर मसूर, चना, मटर के लिए काफी उपयुक्त माना जाता है। एक-दो सालों से हालांकि यहां की स्थिति में बदलाव हुआ है।
इस साल जलजमाव के अधिक समय तक रह जाने के करण परेशानी और बढ़ गई है। मोकामा के किसान रविन्द्र सिंह कहते हैं, बीते एक महीने से टाल क्षेत्र के खेत पानी में डूबे हुए हैं। खेतों में 10 फुट तक पानी है। निकासी की रफ्तार काफी धीमी है। उन्होंने कहा कि पहले बारिश के मौसम जुलाई-अगस्त से सितंबर तक इस टाल क्षेत्र में जलजमाव हो जाता था और फिर सितंबर के अंत तक खुद-ब-खुद पानी निकल जाता था। इससे किसान समय पर दलहन की फसलें बो दिया करते थे और मार्च तक फसल काटकर निश्चिंत हो जाते थे। अब ऐसा नहीं है।
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