पटना। ठंड के मौसम की शुरुआत के साथ बिहार की राजधानी पटना सहित राज्य के कई शहरों में वायु प्रदूषण सुर्खियां बनने लगा है। देश के वायु प्रदूषण के खतरनाक श्रेणी में होने वाले शहरों में पटना के शामिल होने के बाद बिहार सरकार ने भी पहल करते हुए कई तरह के कदम उठाए हैं, परंतु इसे नाकाफी बताया जा रहा है। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, पटना की वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) का स्तर मंगलवार को 414 तक पहुंच गया था। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
हाल ही में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी देश के 103 शहरों की वायु गुणवत्ता सूचकांक में पटना खतरनाक श्रेणी में पहुंच गया है। कहा जा रहा है कि यहां की हवा जहरीली हो गई है। मुजफ्फरपुर और गया की हवा भी खराब पाई गई है। सूची में भागलपुर, दरभंगा, नवादा, औरंगाबाद की हवा भी मानक से अधिक प्रदूषित पाए गए हैं। बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, पटना का एक नवंबर को एक्यूआई 357 था, वहीं दो नवंबर को यह 428 तक पहुंच गया था।
तीन नवंबर को यह सूचकांक 413 और चार नवंबर को 383 तक पहुंचा था। बिहार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह भी कहते हैं कि पटना, गया, और मुजफ्फरपुर को देश के 102 नॉनअटेन्मेंट सिटी के रूप में चिन्हित किया गया है। उन्होंने बताया कि राजधानी पटना की बात करें तो यहां प्रदूषण के लिए 32 प्रतिशत वाहन, सात प्रतिशत उद्योग, चार प्रतिशत ईंट भट्ठा, 12 प्रतिशत धूल कण, सात प्रतिशत अवशेष का जलना, 10 प्रतिशत हिटिंग, पांच प्रतिशत डीजल जेनरेटर सेट जिम्मेदार हैं।
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