सिविल सर्जन सिंह ने कहा कि पिछले दो दिनों से एईएस से पीडि़त मरीजों की
संख्या में कमी आई है। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि दो दिन पहले बारिश
हुई थी, जिस कारण तापमान में गिरावट दर्ज की गई थी। सोमवार को फिर से तेज
धूप निकली है। सिंह ने बताया, पूरे जिले में लोगों को एईएस के प्रति जागरूक
करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
पूरे क्षेत्र में ओआरएस के
पैकेट बांटे जा रहे हैं तथा बच्चों को सुबह-शाम स्नान करवाने के लिए जागरूक
किया जा रहा है। उन्होंने लोगों से बच्चों को गर्मी से बचाने के साथ ही
समय-समय पर तरल पदार्थो का सेवन करवाते रहने की अपील की है।
इस बीमारी का
शिकार आमतौर पर गरीब परिवार के बच्चे होते हैं, और वह भी 15 वर्ष तक की
उम्र के। इस कारण मृतकों में अधिकांश की आयु एक से सात वर्ष के बीच है।
गौरतलब है कि पूर्व के वर्षों में दिल्ली के नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल
के विशेषज्ञों की टीम तथा पुणे के नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ वायरोलॉजी
(एनआईवी) की टीम भी यहां इस बीमारी की अध्ययन कर चुकी है।
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