उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव में राजद, कांग्रेस, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा
(हम), विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) और रालोसपा साथ मिलकर लड़े थे,
लेकिन राज्य की 40 सीटों में कांग्रेस को सिर्फ किशनगंज में जीत मिली। शेष
39 सीटों पर विरोधी दल के गठबंधन ने जीत हासिल की थी। माना जा रहा है कि
चुनाव के पहले सीट बंटवारे को लेकर दबाव की रणनीति के तहत इस तरह की
पैंतरेबाजी हो रही है।
भाजपा नीत राजग में भी सीट बंटवारे को लेकर
पैतरेबाजी प्रारंभ हो गई है। जद (यू) के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने कहा है
कि जद (यू) बिहार में बड़े भाई की भूमिका में रहेगा, इसलिए उसे विधानसभा
चुनाव में 50 प्रतिशत से ज्यादा सीटें मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय
जनता पार्टी को सीट बंटवारे के दौरान जद (यू) के प्रस्ताव पर पहले विचार
करना चाहिए। उन्होंने कहा है कि भाजपा से सीट बंटवारे को लेकर अनुपात 1-3
या 1-4 का ही रहेगा।
प्रशांत किशोर ने भाजपा-जद (यू) के बीच 2010 के बिहार
विधानसभा चुनाव में बने सीट बंटवारे के फॉर्मूले का हवाला देकर 2020 में
टिकट बंटवारे की बात कही है। उस वक्त जद (यू)142 सीटों पर और भाजपा 101
सीटों पर चुनाव लड़ी थी। तब राजग में लोजपा नहीं थी। प्रशांत के इस बयान के
बाद बिहार की सियासत गरम हो गई है। प्रशांत के सीट बंटवारे के बयान पर
भाजपा नेता नितिन नवीन ने कहा कि सीट बंटवारे पर आखिरी फैसला पार्टी हाई
कमान को लेना है, तो फिर यह समझ से परे है कि इस मुद्दे पर प्रशांत किशोर
ऐसी बयानबाजी क्यों कर रहे हैं?
भाजपा के वरिष्ठ नेता नंदकिशोर यादव ने
प्रशांत किशोर के बयान पर कहा कि सीट बंटवारे पर दिया बयान पार्टी का बयान
नहीं है, इसीलिए यह गैरजरूरी बयान है। प्रशांत किशोर के बयान पर जद (यू)
नेता और परिवहन मंत्री संतोष निराला ने कहा है कि विधानसभा चुनाव में जद
(यू) ही बड़े भाई की भूमिका में रहेगा और नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही
चुनाव लड़ा जाएगा। सीट बंटवारे के मुद्दे पर बैठकर वार्ता की जाएगी और उसके
बाद सबकुछ तय होगा।
(IANS)
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