पटना। बिहार के समस्तीपुर जिले के सिंधिया प्रखंड के हरपुर, ब्रह्मपुरा और बेलाही गांवों में मंगलवार को भी कई घरों में चूल्हे नहीं जले। उन्हें अब अपने परिजनों के पार्थिव शरीर का इंतजार है, जिन्हें कम से कम अंतिम समय निहार सकें। इन गांवों में महिलाओं का रह-रहकर चीत्कार अब भी सुनाई दे रहा है। हरपुर गांव के निवासी मोहम्मद उल्फत को तो अब कोई ढांढ़स भी नहीं बंधा पा रहा है। उनकी आंखों के आंसू भी तीन दिनों में सूख गए हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
आखिर उसने दो जवान बेटे खो दिए हैं। उल्फत ने अपने चौथे बेटे वाजिद (18) को पिछले महीने ही टेलरिंग के काम के लिए उसके भाई साजिद (26) के साथ दिल्ली भेजा था। हरपुर गांव के ही एक व्यक्ति का दिल्ली में एक कारखाना है। इस कारखाने में यहां के करीब 40 लोग काम करते थे। इस कारखाना मालिक के पास ही वाजिद अधिक पैसा कमाने की लालसा में गया था।
उल्फत के एक अन्य बेटे जावेद कहते हैं कि साजिद और वाजिद वहीं (दिल्ली) काम करते थे, अब दोनों नहीं रहे। जावेद और उनका एक भाई हैदराबाद में वेल्डिंग का काम करता है। वे कहते हैं कि घर वालों को तो साजिद और वाजिद से पैसा भेजे जाने की खबर का इंतजार था, परंतु यह इंतजार अब इंतजार ही रह गया।
दिसंबर महीने में गांव के लोगों को यह आशा थी कि उनकी औलाद अब पैसे भेजने की सूचना देगी, परंतु रविवार की सुबह कमाऊ पुत्र खोने की सूचना मिलने के बाद इनके पैरों तले की जमीन खिसक गई। दिल्ली में एक कारखाने में लगी आग से बिहार के 36 लोगों की मौत हो गई है।
मृतकों में सबसे अधिक समस्तीपुर के 12 लोग हैं। परिजनों की इच्छा के अनुसार अंत्येष्टि के लिए मृतकों को बिहार लाया जा रहा है। श्रम विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि दो शवों की पहचान नहीं हो सकी है। आशंका है कि ये दोनों भी बिहार के ही हैं। अगर ये दोनों मृतक भी बिहार के निकले तो राज्य के मृतकों की संख्या बढक़र 38 हो सकती है।
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