बिहार सरकार की रिपोर्ट बताती है कि करीब दो महीने तक की लीची की
फसल से सीधे तौर पर इस क्षेत्र के 50 हजार से भी ज्यादा किसान परिवारों की
आजीविका जुड़ी हुई है।
मुजफ्फरपुर की शाही लीची अपनी मिठास की वजह
से देश-विदेश में प्रसिद्ध रही है। मौजूदा दौर की लीची में हालांकि न पहले
जैसी मिठास है और न आकार ही है। विगत 10 सालों में लीची की मिठास में कमी
आई है और आकार भी छोटा हुआ है। राज्य में जलवायु परिवर्तन को इसका प्रमुख
कारण माना जाता है।
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र ने किसानों को
नई विधि से लीची उत्पादन की जानकारी दी है। इसके तहत लीची का पौधा कतार में
लगाने का तरीका बताया गया। केंद्र ने पौधों को पूरब से पश्चिम दिशा में
लगाने की सलाह दी है। नई तकनीक के मुताबिक, एक से दूसरी कतार की दूरी आठ
मीटर और एक से दूसरे पौधे चार मीटर की दूरी पर लगाने का निर्देश दिया जा
रहा है। अनुसंधान केंद्र का दावा है कि इस विधि से एक एकड़ में 125 पौधे
लगाए जा सकेंगे।
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