मुजफ्फरपुर। देश और विदेश में चर्चित बिहार (Bihar)की लीची ( litchi )अब फिर से न केवल ज्यादा रसीली होगी, बल्कि उसकी मिठास भी पहले जैसी ही होगी। जलवायु परिवर्तन से लीची के स्वाद में गिरावट आने के बाद राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र ने नई तकनीक से ना केवल लीची का उत्पादन बढ़ने का दावा किया है, बल्कि इसके आकार में वृद्धि और मिठास भी ज्यादा होने का भरोसा दिया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मुजफ्फरपुर स्थित राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. विशालनाथ ने बताया कि नई तकनीक के पालन से किसान एक हेक्टेयर भूमि पर 15 टन लीची का उत्पादन कर सकेंगे।
देश के लीची उत्पादन में बिहार की कुल 40 से 50 फीसदी तक हिस्सेदारी है। एक आंकड़े के मुताबिक, बिहार में 32 हजार हेक्टेयर जमीन में करीब तीन लाख मीट्रिक टन लीची का उत्पादन होता है। बिहार में मुजफ्फरपुर को लीची उत्पादन का गढ़ माना जाता है। इसके अलावा समस्तीपुर, पूर्वी चंपारण, वैशाली, बेगूसराय में भी लीची का उत्पादन किया जाता है।
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