क़े क़े एम. कॉलेज के पूर्व प्राचार्य जय कुमार सिंह का कहना है कि
भूदेव चौधरी की लोकप्रियता चिराग के मुकाबले कम है, जिस कारण चिराग अपनी
पैठ मतदाताओं में बना पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुकाबला कड़ा है, मगर
अन्य चुनावों की तरह यहां जातीय समीकरणों को भी नकारा नहीं जा सकता। यादव,
मुस्लिम और सवर्ण जाति की बहुलता वाले इस लोकसभा क्षेत्र में पिछड़ी
जातियों की संख्या भी अच्छी खासी है।
हालांकि वरिष्ठ अधिवक्ता
सीताराम सिंह कहते हैं कि महागठबंधन इस चुनाव में जहां पूरी तरह
फूंक-फूंककर कदम रख रही है और विरोधी को मात देने की लिए कोई कसर नहीं
छोड़ना चाह रही है, जबकि चिराग के राजनीति कद के बढ़ने के कारण वे लोगों की
पसंद बने हुए हैं। ऐसे में यहां मुकाबला कड़ा और दिलचस्प है।"
उन्होंने
कहा कि पिछले पांच साल में चिराग के प्रयास से जमुई में विकास के कई ऐसे
कार्य हुए हैं, जो उन्हें जनता की पसंद बनाता है, जिसका उन्हें लाभ अवश्य
मिलेगा।
जंगल, पहाड़, और नदियों से घिरे जमुई संसदीय क्षेत्र में
ऐसे तो कई क्षेत्रीय समस्याएं हैं, मगर इन समस्याओं की जड़ में नक्सलियों
की पैठ को मुख्य कारण माना जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि नक्सलियों की
पैठ के कारण जहां इस क्षेत्र में विकास कार्य ठप हो जाते रहे हैं, वहीं
लोगों का पलायन बदस्तूर जारी है।
इस क्षेत्र में 11 अप्रैल को पहले चरण के तहत मतदान होना है।
-आईएएनएस
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