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बिहार: शराब कांड के बाद छठ के गीत नहीं, कई घरों से रोने और सिसकियों की गूंज रही आवाजें

Bihar: No songs of Chhath after liquor scandal, cries and sobs echoing from many houses - Gopalganj News in Hindi

गोपालगंज। बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बावजूद जहरीली शराब ने कई बसे-बसाए घरों को उजाड दिया। गोपालगंज जिले के महम्मदपुर थाना क्षेत्र के महम्मदपुर गांव का दलित बस्ती भी ऐसा ही एक बदनसीब क्षेत्र है, जहां एक सप्ताह पूर्व जहरीली शराब का तांडव मचा था।

इस कारण इस छठ पर्व पर यहां के घरों से कर्णप्रिय छठ के गीत नहीं बल्कि महिलाओं की दर्दभरी सिसकियां और रोने की आवाज गांवों की गलियों की खामोशी में गूंज रहे हैं। इनकी दलित बस्ती की गलियां भी सुनसान पड़ी है।

ग्रामीणों के मुताबिक पिछले एक स्पताह में इस बस्ती से 21 अर्थियां उठी हैं, भला कैसे किसी घर में पर्व होगा? ऐसे भी हिंदू रीति-रिवाज के मुताबिक उन घरों में 13 दिन पूजा-पाठ नहीं होता, जिनके घरों से अर्थी उठी है।

ग्रामीण बताते हैं कि इस वर्ष दिवाली के पहले से ही गांव में लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर तैयारी प्रारंभ की गई थी, लेकिन किसे पता था छठ मईया इस बार नाराज हो जाएंगी और शराब से कई घर उजड जाएंगें। गांव में पुलिस वाले तो घूम रहे हैं लेकिन गांव के व्यस्क सडकों पर नहीं निकल रहे। बच्चे और किशोर बाहर नजर आए। उन्हें भी गांव में शराब के कहर से उत्पन्न स्थिति का अहसास है, लेकिन वे भी खामोश हैं।

गांव के रहने वाले पप्पू साह पिछले चार-पांच दिन मौत से लडकर बच गए हैं। अस्पताल से इन्हें छुट्टी मिल चुकी है। पप्पू ने भी शराब पी थी, लेकिन इलाज के बाद स्वस्थ होकर ये घर वापस लौट गए। इन्हें शराब पीने का पछतावा है अैर भविष्य में कभी शराब नहीं पीने की कसम भी खा रहे हैं।

वे कहते हैं कि छठ पर्व यहां केवल एक पर्व नहीं सामाजिक सौहार्द की मिसाल भी पेश करता था। हम सभी जाति और धर्म के लोग मिलकर छठ पर्व मनाते थे, लेकिन इस साल गांव में छठ घाट सूना पडा है।

ग्रामीणों की मुतबिक 2 नवंबर से गांव में लोगों का मरने का सिललिा प्रारंभ हुआ और अब तक 21 लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि सरकारी आंकडा अभी कम है।

गांव की मंजू देवी बताती हैं कि इस साल गांव में ही नहीं रिश्तेदारों के यहां भी छठ पर्व नहीं हो रहा है। आसपास के गांव में भी अधिकांश लोग इस साल छठ पर्व नहीं कर रहे हैं। वे कहती हैें कि गांव के छठ घाटों को को भी व्रतियों के लिए तैयार करने का काम प्रारंभ हो गया था। लेकिन, अब तो गांव में दूसरी कहानी हो गई।

इधर, कांग्रेस के पूर्व महामंत्री और एआईसीसी के सदस्य आसिफ गफ्फूर कहते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अभी भी शराबबंदी को लेकर समीक्षा की बात करते हैं। सख्ती की बात करते हैं, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को उन घरों में जाना चाहिए, जो अपने प्रियजनों को इस शराबबंदी में खो चुके हैें।

उल्लेखनीय है कि राज्य के मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, पश्चिमी चंपाराण, समस्तीपुर जिले में सरकारी आंकडों के मुताबिक पिछले एक पखवारे में 30 से अधिक लोगों की मौत कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से हो गई है।

--आईएएनएस

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Web Title-Bihar: No songs of Chhath after liquor scandal, cries and sobs echoing from many houses
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