भागलपुर। बिहार के भागलपुर के नाथनगर में सांप्रदायिक हिंसा भडक़ाने के आरोप में गिरफ्तार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता अर्जित शाश्वत की नियमित जमानत याचिका यहां की एक अदालत ने मंगलवार को खारिज कर दी। अर्जित केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे हैं। चौबे ने अपने बेटे के खिलाफ एफआईआर को गलत ठहराया था और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को असमंजस में डाला था। भागलपुर के अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी-एक अंजनी कुमार श्रीवास्तव की अदालत में अर्जित की जमानत याचिका दाखिल की गई थी, जिसे सुनवाई के बाद नामंजूर कर दिया गया।
नाथनगर में 17 मार्च को हिंदू नववर्ष के मौके पर निकाले गए जुलूस के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भडक़ गई गई थी। पुलिस ने इस मामले में दो अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की थी और अर्जित शाश्वत को भी आरोपी बनाया था। हफ्तेभर आलोचनाएं झेलने के बाद नीतीश की पार्टी ने अर्जित से आत्मसमर्पण करने की अपील की थी। अर्जित को दो दिन पूर्व पटना से गिरफ्तार किया गया था।
इस मामले में मंगलवार को पांच और आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, जबकि तीन अन्य ने अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया।
अर्जित पिछले विधानसभा चुनाव में भागलपुर क्षेत्र से चुनाव लडक़र हारे थे। ताजा भागलपुर कांड पर अश्विनी चौबे ने एफआईआर को गलत ठहराया था और कहा था किउन्हें अपने बेटे पर गर्व है। भारत माता की जय कहना अपराध नहीं है। चौबे को भले ही यह अपराध न लगे, लेकिन जिस मकसद से और जहां कहा गया, वह अपराध जरूर है। अदालत ने इसे अपराध माना और हिंसा भडक़ाने के पर्याप्त सबूत देख जमानत नहीं दी।
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