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असम का एक गांव, जहां पानी है 'धीमा जहर'

असम के भूजल में जब फ्लोराइड प्रदूषण की बात आती है, तब सबसे पहले होजई जिले का तपत्जुरी गांव का नाम आता है जो इससे सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र है। पानी में फ्लोराइड की जायज सीमा एक मिलीग्राम प्रति लीटर होती है, लेकिन तपत्जुरी के हैंडपंप या ट्यूबवेल से निकलने वाले पानी के नमूने में फ्लोराइड का स्तर 10-15 मिलीग्राम प्रति लीटर के बीच होता है जो स्वाभाविक रूप से विनाशकारी है।

उच्च फ्लोराइड के लंबे संपर्क में रहने का दुष्प्रभाव सबसे अधिक यहां के ग्रामीणों के शरीर पर पड़ा है। इस गांव में शायद ही आपको ऐसा बच्चा या वस्यक मिले, जिसके दांतों में दाग-धब्बे, तिरछे या मुड़े हुए न हों जो डेंटल फ्लूरोसिस के लक्षणों में शामिल है। गांव के लगभग हर निवासियों को जोड़ों और शरीर में दर्द की शिकायत रहती है। इतना ही नहीं, यहां के बच्चे आए दिन स्कूल नहीं जाते हैं और यह दायरे से बाहर जा रही इस स्वास्थ्य समस्या का एक आदर्श उदाहरण है।

गांव की दस वर्षीया रोहिमा शिकायत करती हैं कि उनके पैरों में हर समय दर्द रहता है। रोहिमा के दांतों को देखकर पता चलता है कि यह समस्या कितनी बड़ी है। रोहिमा ने बताया कि उनकी चार बहनें और भाई भी दर्द से पीड़ित हैं। वह कहती है, "मुझे कभी-कभी स्कूल छोड़ना पड़ता है। क्योंकि कभी-कभी मैं चल नहीं पाती।"

कक्षा में छह में पढ़ने वाले हमजद कहते हैं कि उन्हें भी अक्सर घुटनों में दर्द रहता है और उन्हें स्कूल जाने और खेलने के लिए भी काफी संघर्ष करना पड़ता है, लेकिन कभी-कभी उनके लिए दर्द के कारण यह सब असंभव हो जाता है।

इस गांव में कई सालों से इस समस्या पर काम कर रहीं सामाजिक कार्यकर्ता धरानी सैकिया ने कहा कि ट्यूबवेल या हैंडपंप जो जमीन से 100-150 फीट नीचे से पानी खींचते हैं। वह पानी में फ्लोराइड के उच्च स्तर को खींच रहे हैं और यही इस 'धीमा जहर' का कारण है।

जब आप उस गहराई पर जाकर पानी ड्रिल (खींचते) करते हैं तो आप ग्रेनाइटिक चट्टानों तक पहुंच जाते हैं जो फ्लोराइड जैसे खनिजों में समृद्ध होती है, जिससे पानी में फ्लोराइड की मात्रा भी अधिक आ जाती है। वह कहती हैं, "यही कारण है कि कुएं, जिन्हें केवल 10-12 फीट ही खोदना पड़ता है, एक सुरक्षित विकल्प हैं और हम इसका उपयोग करने की वकालत कर रहे हैं।"

कथित तौर पर तपत्जुरी के पास के गांव फ्लोरोसिस से गंभीर रूप से प्रभावित नहीं हैं, जिस पर सैकिया का कहना है कि यह गांव के भौगोलिक स्थिति की वजह से हो सकता है।

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Web Title-Hope Flickers in Assam Village Where Water is Slow Poison
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